रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- यूं तो नैनीताल में मोमबत्तियों का इतिहास काफी पुराना है यहाँ की कैंडिल्स की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है अगर कहें कि कैंडिल्स नैनीताल की पहचान हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी लेकिन नैनीताल में मोमबत्तियों के कारोबार में इंजीनियर शिवांगी मेहरोत्रा की युवा सोच ने अभिनव प्रयोग कर नई क्रांति की शुरुआत कर दी है।
उन्होंने कैंडिल्स में कुमाऊँनी ऐपण,पारंपरिक वेशभूषा,विलुप्त होते पारंपरिक दुल्हा-दुल्हन की पोशाक यहाँ की संस्कृति की पहचान छोलिया नर्तक को वैक्स में पेंट कर सुंदर आकार में ढाल दिया है जो न केवल कुमाऊँनी संस्कृति की झलक पेश कर रही है बल्कि अब ये मोमबत्तियां रोशनी के साँथ साँथ हमारी संस्कृति को भी फैलाव दे रही है।
शिवांगी को ये विचार दो वर्ष पूर्व लॉकडाउन के दौरान आया अपने विचार को कई लोगों के साँथ साझा कर शिवांगी ने कुछ महिलाओं को साँथ लेकर अपने विचार को अपनी सोच को खूबसूरत सोंचो में ढालने का काम शुरु कर दिया।
सकारात्मक सोच और सही दिशा में मेहनत का परिणाम आज हम सबके सामने है और इन कैंडिल्स के जरिये हमारी संस्कृति देश-विदेश में पहचान बना रही है।
इन कैंडिल्स की कीमत 170 से 900 रुपये तक रखी गई है शिवांगी की इस सोच ने न केवल यहाँ के मोमबत्ती कारोबार को नये आयाम दिये हैं बल्कि इसके जरिये उन्होंने कई महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा है।
कंपीटिशन के इस दौर में उनके अभिनव प्रयोग ने उन्हें एक नई पहचान भी दी है शिवांगी ने आज सिद्ध कर दिया कि…..
अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फैसला।
जिस दिए में जान होगी वो रह जायेगा।।