कुमाऊं अंचल के किसानों का कृषि त्योहार- हई दशर- हलिया दशहरा

कुमाऊं अंचल के किसानों का कृषि त्योहार- हई दशर- हलिया दशहरा

रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- कुमाऊं अंचल में इस समय यहां गेहूं बोने की धूम रहती है किसान का साथ हल बैल का है वहीं उसकी संपदा है।
लक्ष्मी का संबंध यहां आत्मा से जोड़ा गया है इसे रुपए – पैसे, सोना – चांदी की पूजा तक ही सीमित न रखकर उन्होंने इसका क्षेत्र विशाल कर दिया है।
सोने चांदी व कागज की सरकारी मोहर लगी पर्चीयों से भी अधिक मूल्य उनके लिए गोधन – गाय बैल का है।कुमाऊं का किसान उन्हें धन का प्रतीक मानता है यह धन ही तो उसकी खेती का प्राण है।
यहां मार्गशीर्ष मास के 10 गते अर्थात 25 नवंबर 2022 को हई दशर मनाया गया। आज के दिन बैल, हल ,कृषि उपकरणों व हलिया की आवाभगत की जाती है । हलिया अर्थात खेत में हल चलाने वाला व्यक्ति या मजदूर।
हल की पूजा, बैल की पूजा, व कृषि उपकरणों की पूजा हलिया ही संपन्न कराता है। गाय की पूजा तो हो गई गोवर्धन के दिन अब बारी आती है बैल की।
सचमुच यह त्यौहार इन सबके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है।

यह हमारी लोक संस्कृति का द्योतक है।
हल को एक पवित्र उपकरण माना गया है।
महाराजा जनक ने भी सोने का हल चलाया था भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का अस्त्र भी हल ही था। इसीलिए हमारे इस अंचल में गेहूं की बुवाई कर लेने के उपरांत हल, बैल व कृषि उपकरणों व हलिया को सम्मान देने के उद्देश्य से इस त्योहार ने जन्म लिया होगा। जिसे हम हई दशर अर्थात हलिया दशहरा के नाम से जानते हैं। इस प्रकार यह त्योहार हल, बैल, कृषि उपकरणों, हलवाले और कृषि की महत्ता का द्योतक है।
इस दिन से इन कृषको को , लगभग चार-पांच माह का आराम मिल जाता है क्योंकि हल फिर चैत माह में ही लग्न व निश्चित शुभ – मांगलिक समय देखकर ही निकाला जाता है तथा हल चलाने के लिए (हवजोती)आरंभ की जाती है।
यह त्योहार प्रकृति की पूजा का भी त्यौहार है।
आलेख:- बृजमोहन जोशी लेखक

उत्तराखंड