रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल:- आजादी के आंदोलन में 63 दिन तक आमरण अनशन कर शहीद होने वाले शहीद जतिन दास को 119वीं जयंती पर किया याद- नवेंदु मठपाल ने जतिन दास के जीवन वृत पर डाला प्रकाश

रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल:- आजादी के आंदोलन में 63 दिन तक आमरण अनशन कर शहीद होने वाले शहीद जतिन दास को 119वीं जयंती पर किया याद- नवेंदु मठपाल ने जतिन दास के जीवन वृत पर डाला प्रकाश

रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- आजादी के आंदोलन में 63 दिन तक आमरण अनशन कर शहीद होने वाले शहीद जतिन दास को आज उनकी 119 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर याद किया गया।
भारतीय शहीद सैनिक स्कूल में रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल पर हुए कार्यक्रम में जतिन दास के जीवन पर बातचीत होने के साथ-साथ उनके जीवन को केंद्रित कर बनी डॉक्यूमेंट्री देखी गई बच्चों ने उनका चित्र भी बनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत जतिन दास के चित्र पर माल्यार्पण से हुई।
सभी ने 1857 के विद्रोह के अज़ीमुल्ला खां द्वारा लिखे प्रयाण गीत हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा व सरफरोशी की तमन्ना को सामूहिक रूप से गाया।शिक्षक मंडल के संयोजक नवेंदु मठपाल ने जतिन दास के जीवन पर विस्तार से बातचीत रखी।
उन्होंने कहा 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिन दास कोलकाता के एक प्रतिभाशाली युवा छात्र थे।नवंबर 1925 में उन्हें उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

उन्होंने जेलों में कैदियों के बेहतर इलाज की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर दी। उन्होंने भारतीय कैदियों के साथ यूरोपीय कैदियों के समान व्यवहार करने को कहा।
21 दिनों तक वह जेल अधिकारियों पर तब तक दबाव डालते रहे जब तक कि अंततः वे मान नहीं गए। वार्डन ने स्वयं जतिन दास से माफी मांगी और भारतीय कैदियों के साथ उनके व्यवहार में बदलाव किया।
जून 1929 में फिर से उन्हें भगत सिंह और कुछ अन्य लोगों के साथ लाहौर षडयंत्र मामले में गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें उन पर स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया था।
जतिन दास ने एक बार फिर भारतीय कैदियों के उचित इलाज की मांग को लेकर भूख हड़ताल की घोषणा की।
दिन बीते, सप्ताह बीते, महीने बीते हर गुजरते पल के साथ उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता गया लेकिन उनका संकल्प दिन-ब-दिन मजबूत होता गया।
भूख हड़ताल के 63वें दिन यानी 13 सितंबर 1929 को उनकी शहादत हो गई।भेदभाव,अपमान और गुलामी के जीवन से मृत्यु बेहतर है।
उनका जीवन आज भी हमारे अंदर देशभक्ति का उत्साह पैदा करता है।
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागी बच्चों को जतिन दास पर बनी डाक्यूमेंट्री दिखाए जाने के साथ-साथ गौहर रजा निर्देशित डाक्यूमेंट्री इंकलाब दिखाई गई।
इस डाक्यूमेंट्री में भारतीय आजादी के आंदोलन के क्रांतिकारी पक्ष को बहुत ही बेहतरीन तरीके से रखा गया है।
प्रतिभागी बच्चों को आजादी के क्रांतिकारी संग्रामियों के जीवन से संबंधित साहित्य भी दिया गया।
इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य बी एस मेहता, नवेंदु मठपाल,शाहनवाज,भावना शाह, समीर अली, प्रवीन सती,आलोक कुमार,डा नीलम जोशी,डा रेनू बिष्ट समेत 300 से अधिक बच्चे मौजूद रहे।

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