रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- बीमारों को जिंदगी देने में डॉक्टर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अस्पताल में बिस्तर पर लेटे बीमारों की रात दिन सेवा करने वाली नर्सो के लिये आज का दिन बेहद ही खास होता है मगर इस बार वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते आज के इस विशेष दिवस को सांकेतिक तौर पर मनाया जा रहा है।
दरअसल ब्रिटिश परिवार में जन्मी नर्सिंग के संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था उन्ही की याद में इस दिन को मनाया जाता है सबसे पहले इस दिवस की शुरुआत 1965 में की गई थी तब से लेकर आज तक इस दिवस को इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के रुप में मनाया जाता है।
दुनियाभर की नर्सो के लिये प्रेरणा बनी फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1860 में सेंट टॉमस अस्पताल और नर्सो के लिये नाइटिंगेल प्रशिक्षण कॉलेज की स्थापना कर गरीब,लाचार व असहाय मरीजों की सेवा के लिये प्रेरित किया था।
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उत्तराखंड में भी इस बार कोरोना महामारी के चलते आज के दिवस को सांकेतिक रूप से मनाने का फैसला किया है राज्य नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला ने कहा कि आज यानि 12 मई का दिन सभी नर्सो के लिये खास होता है इस दिन सभी लोग मिल जुलकर फ्लोरेंस के जन्म दिवस को बड़े धूमधाम के साथ मनाती थी मगर इस बार कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुवे केवल सांकेतिक तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
जखमोला ने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह से तमाम नर्सेज अपनी जान की परवाह किये बगैर मरीजों की सेवा में रात दिन जुटी है फ्लोरेंस नाइटिंगेल के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन्होंने राज्य की करीब 5 हजार से अधिक नर्सेज को इस कोरोना काल में बीमारों की तन और मन से सेवा करने की अपील भी की है।।।।