नैनीताल में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरु- हिमालयी राज्यों हेतु जोखिम न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास पर हो रहा मंथन- देशभर के 300 से अधिक विषय विशेषज्ञ कर रहे हैं प्रतिभाग- सीएम धामी ने कार्यशाला को बताया मील का पत्थर

नैनीताल में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरु- हिमालयी राज्यों हेतु जोखिम न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास पर हो रहा मंथन- देशभर के 300 से अधिक विषय विशेषज्ञ कर रहे हैं प्रतिभाग- सीएम धामी ने कार्यशाला को बताया मील का पत्थर

रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- डॉ0 आर एस टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल में पर्वतीय राज्यों हेतु जोखिम न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास विषय पर आज से दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू हो गई है जो कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान गृह मंत्रालय भारत सरकार एवं डॉ0 रघुनन्दन सिंह टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।आज से शुरु अकादमी के पुर्ननिर्मित प्रेक्षागृह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वर्चुवल गरिमामय उपस्थिति में प्रारम्भ हुई।

कार्यशाला के शुभारम्भ के अवसर पर महानिदेशक अकादमी बी0पी0 पाण्डेय द्वारा मुख्यमंत्री धामी का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया।
इसी क्रम में कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में विधायक सरिता आर्या एवं विशिष्टि अतिथियों के रूप में पद्भूषण,चंडी प्रसाद भट्ट, पद्मश्री प्रो0 शेखर पाठक,राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान नई दिल्ली ताज हसन,कमिश्नर दीपक रावत, कुलपति कुमाऊ विश्व विद्यालय, नैनीताल डॉ0 एन0 के0 जोशी, जिला पंचायत अध्यक्षा बेला तोलिया शामिल हुवे।
महानिदेशक द्वारा कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि पर्वतीय राज्यों में निरन्तर आपदाओं की आवृत्ति बढ़ती जा रही है जिससे प्रतिवर्ष अत्यधिक जन और धन की क्षति हो रही है।
महानिदेशक द्वारा बदलते जलवायु परिवर्तन पर विस्तृत प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में प्रधानमंत्री के 10 ऐजेण्डा बिन्दुओं पर चर्चा, रिजनल फ्रेम वर्क तथा बैस्ट प्रैक्टिसेस पर चर्चा की जायेगी। यह भी अवगत कराया गया कि अकादमी राज्य की सर्वोत्तम प्रशिक्षण संस्था है। अकादमी में वर्ष भर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं, इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आपदा प्रबन्धन के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी सम्मिलित रहते हैं। राज्यों की संवेदनशीलता के दृष्टिगत पर्वतीय राज्यों हेतु एक सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किया जाना सभी पर्वतीय राज्यों के लिये उपयोगी होगा।
अधिशासी निदेशक, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान ताज हसन्, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी विभिन्न आपदाओं पर प्रकाश डाला गया।
उन्होंने यह बताया कि पर्वतीय राज्यों में जलवायु परिर्वतन की वजह से 1.50 सेन्टीग्रेट तापमान में वृिद्ध हुई है। आपदा जोखिम न्यूनीकरण, महिला सशक्तिरण, अरली वारनिंग सिस्टम, फोरकास्ट, टैक्नोलाजी को ध्यान में रखते हुये आपदा प्रबन्ध में क्षमता विकास किया जाना अति आवश्यक है, इस हेतु एनआईडीएम द्वारा विभिन्न राज्यों को प्रशिक्षण हेतु सहायता प्रदान की जाती है। विधायक नैनीताल सरिता आर्य द्वारा सभी मंचासीन विशिष्ट अतिथियों एवं पर्वतीय राज्यों से आये प्रतिभागियों का अभिनन्दन किया।
आपदाओं के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने जोर दिया कि आपदा प्रबन्धन की इस प्रणाली में ग्रामीण लोगों को भी सम्मिलित किया जाये तथा प्रशिक्षित किया जाये।
पर्वतीय राज्यों की सड़कों को मजबूत बनाने के साथ-साथ सड़कों का उपचार भी समय से कर लिया जाये।
उन्होंने कहा कि विगत अक्टूबर, 2021 की आपदा से भवाली-अल्मोड़ा मार्ग अत्यधिक क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे आवागमन में अत्यधिक परेशानियां हुई। विधायक आर्य ने कहा आपदाओं के प्रति हम सभी को सचेत रहने की आवश्यकता है।
कमिश्नर कुमाऊं दीपक रावत द्वारा भी आपदाओं के विभिन्न उदाहरण दिये गये, जिसमें बागेश्वर पिण्डर वैली के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किये गये। अपने व्यक्तव्य में उनके द्वारा आपदा प्रबन्धन में संचार व्यवस्था सुदृढ़ किये जाने हेतु जोर दिया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा बी. पी. पाण्डे, महानिदेशक एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान, दिल्ली के अधिशासी निदेशक ताज हसन एंव सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी गई।
सीएम धामी द्वारा पर्वतीय राज्यों के आपदाओं पर विशेष ध्यान आकर्षित किया गया। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने से भविष्य में पेय जल संकट भी उत्पन्न हो सकता है।
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सीएम धामी ने राष्ट्रीय कार्यशाला को आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में सराहनीय प्रयास बताया गया।
वर्ष 2013 केदारनाथ आपदा के पश्चात् राज्य में हुए क्षति के दृष्टिगत् पुनर्निर्माण के कार्यों में अत्यधिक प्रगति हुई है, जहाँ क्षतिगत अवसंरचनाओं का पुनर्निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण बहुत कम अवधि में किया गया।
अकादमी में उत्तर पर्वतीय राज्यों हेतु सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किये जाने हेतु अपनी सहमति व्यक्त की है।
अकादमी में पुनर्निर्मित प्रेक्षागृह का भी लोकार्पण मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।
इस अवसर पर अकादमी से संयुक्त निदेशक (प्र०) प्रकाश चन्द्र एवं अकादमी संकाय वी.के.सिंह, एन.एस. नगन्याल, दिनेश राणा, पूनम पाठक, सुधीर कुमार, डॉ0 दीपा मेेहरा रावत, डॉ0 मंजू ढौंडियाल, डॉ0 ओम प्रकाश, डॉ0 मंजू पाण्डे, मनोज पाण्डे, मीनू पाठक, रागिनी तिवारी के साथ-साथ समस्त अकादमी सदस्य व एन.आई.डी.एम. से आये हुए सदस्य अली हैदर, विवेक शर्मा एवं गीता शर्मा भी शामिल रहे।

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