डीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट- पारम्परिक कुमाऊँनी शैली में नजर आयेगी पर्यटन नगरी- तल्लीताल,मल्लीताल व रिक्शा स्टैंड के साँथ ही बाजारों में भी दिखेगी कुमाऊँनी भवन शैली की छाप

डीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट- पारम्परिक कुमाऊँनी शैली में नजर आयेगी पर्यटन नगरी- तल्लीताल,मल्लीताल व रिक्शा स्टैंड के साँथ ही बाजारों में भी दिखेगी कुमाऊँनी भवन शैली की छाप

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- कहते हैं “प्रगति जब-जब दिग्भ्रमित हुई उसने परम्परा का अनुसरण किया है” और आज के युग में ये बात चरितार्थ भी होने लगी है हमारी परम्परायें,हमारा खान पान,हमारे रहन सहन की शैली सब अद्भुत था लेकिन धीरे-धीरे हम अपनी परम्पराओं से दूर होकर अपनी पहचान खोते जा रहे हैं।

और ये गौरवशाली पहचान गुम ना हो इसका जिम्मा लिया है नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने और उनकी पहल की छाप दिखने भी लगी है।
डीएम गर्ब्याल के ड्रीम प्रोजेक्ट के पूरा होते ही आपको पर्यटन नगरी नैनीताल की छवि पारम्परिक कुमाऊँनी शैली में नजर आयेगी।
जिला योजना के तहत इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है तल्लीताल,मल्लीताल रिक्शा स्टैंड के साँथ ही आपको तल्लीताल व मल्लीताल के बाजारों में भी कुमाऊँनी भवन शैली की छाप दिखेगी।
1 करोड़ 80 लाख से अधिक लागत के इस प्रोजेक्ट के लिये कुमाऊँ की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से पत्थर लाये जा रहे हैं और वहीं के कारीगर इसको संवार रहे हैं।
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आने वाले 1 वर्ष के भीतर शहर के मेन मार्केट पर्वतीय शैली में नजर आयेंगे।
चूंकि नैनीताल एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है और हर वर्ष लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं।
विशुद्ध कुमाऊँनी शैली में निर्मित बाजार सैलानियों को विशेष आकर्षित करेंगे साँथ ही इस शैली को प्रसार भी मिलेगा।

आपको बता दें कि नैनीताल में आज भी बिट्रिश काल की छाप दिखती है यहाँ की लगभग सभी एतिहासिक इमारतें,बिल्डिंग,चर्च सब ब्रिट्रिश पीरियड की हैं ऐसे में एक आईएएस अधिकारी की अपनी परम्पराओं से जुड़ने की सोच बेमिशाल है उन्होंने सोचा कि यहाँ के बाजारों को पारम्परिक शैली में ढालें जो हमारी पहचान हैं चूंकि परम्परायें हमें हमारे पूर्वजों के विचारों से जोड़ती हैं।।।।

उत्तराखंड