रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त करने व उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाने के साँथ ही उनकी फसलों को जंगली हाथियों के झुंड से बचाने के लिये “संस्कारा डबलपमेंट ट्रस्ट” व वर्ल्ड बी प्रोजेक्ट द्वारा नैनीताल के कोटाबाग में बड़ा अभियान चलाया जा रहा है प्लान के अनुसार 2030 तक ब्लॉक के करीब 116 से अधिक गांवों की महिलाओं को मधुमक्खी पालन के जरिये आर्थिक रुप से मजबूत किया जायेगा।
संस्कारा डबलपमेंट ट्रस्ट की संस्थापिका अनिता मल्होत्रा ने लंदन के वर्ल्ड बी प्रोजेक्ट के साँथ मिलकर कोटाबाग के सैकड़ों गांवों का सर्वे कर बड़ा प्लान तैयार किया है जिसमें जीबी पंत विश्विद्यालय की भी मदद ली गई है।
करीब 2 साल तक चले रिसर्च में पाया गया कि जंगली हाथियों का झुंड इधर-उधर भटकते हुवे खेती-किसानी वाले क्षेत्रों में आकर काफी तबाही मचा देते हैं जिससे कि इनकी फसलों का नुकसान तो होता ही है साँथ ही कई बार ये हाथी जान पर भी भारी पड़ जाते हैं ऐसे में इन हाथियों के साँथ कैसे पेश आना है इसके लिये किसानी वाले इलाकों व खेतो के किनारे हाथियों को भगाने के लिये मधुमक्खी के बक्सों को लगाया जायेगा जिससे कि हाथियों का झुंड खेतो में प्रवेश न करें।
“सस्कारा डबलपमेंट ट्रस्ट” की संस्थापिका अनिता मल्होत्रा बताती हैं कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है इसलिये यहाँ खेतो में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त बनाना उनकी पहली प्राथमिकता है उनकी कोशिश है कि वो महिलाओं को खेती- किसानी के साँथ-साँथ आर्थिक रुप से भी मजबूत करें जिससे कि वो आत्मनिर्भर बन सकें।
अनिता मल्होत्रा की माने तो वो कोटाबाग क्षेत्र की महिलाओं को मधुमक्खी पालन के जरिये सशक्त कर उनको दोहरा लाभ दिलवाना चाहती हैं उनके मुताबिक खेतो के किनारे और मेड़ो के पास मधुमक्खी पालन करने से उनको दोहरा लाभ मिलेगा मधुमक्खी के आक्रमण की डर से हाथी दूर अपने मूल निवास जंगल में रहेंगे वहीं किसान शहद एकत्र कर उसे आसानी से बाजार में बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।
अनिता मल्होत्रा कहती हैं कि जल्द महिलाओं को मधुमक्खी पालन के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु किये जायेंगे उसके बाद उनको बी बॉक्सेज वितरित कर गांवों के किनारे स्थापित किये जायेंगे।
अनिता मल्होत्रा चाहती हैं कि राज्य सरकार भी इस अभियान में उनका साँथ दे जिससे कि यहाँ की महिलाओं को खेती-किसानी के साँथ ही मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ाया जाये जिससे कि असल में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार किया जा सके।