अपणी बोली-अपणी पछयाण- पहली बार गढ़वाली भाषा में रामलीला का मंचन

अपणी बोली-अपणी पछयाण- पहली बार गढ़वाली भाषा में रामलीला का मंचन

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रिपोर्ट- उत्तरकाशी ब्यूरो
उत्तरकाशी-(उत्तराखंड)- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में पहली बार गढ़वाली भाषा मे रामलीला का मंचन हो रहा है।
उत्तरकाशी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में सर्वप्रथम 1952 मे रामलीला का मंचन प्रारंभ हुआ था लेकिन आज तक कभी भी गढ़वाली भाषा मे रामलीला का मंचन नहीं हुआ लेकिन इस बार अपणी बोली-अपणी पछयाण को जीवंत रखने के लिये उत्तरकाशी रामलीला समिति ने निर्णय लिया कि इस वर्ष रामलीला का मंचन गढ़वाली भाषा मे हो।


उत्तरकाशी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 30 से सितंबर रामलीला प्रारंभ हो गई है हनुमान,सीता माता और रावण का अभिनय कर रहे पात्रों ने गढ़वाली भाषा मे चौपाई,रागनी,का गायन किया वहीं गढ़वाली भाषा मे हो रहे रामलीला के मंचन को दर्शक खूब पसंद कर रहे है दर्शक देर रात्रि तक रामलीला पंडाल में बैठकर रामलीला देख रहे है।

आयोजकों के मुताबिक आज जो हमारी संस्कृति हमारी भाषा हमारी बोली विलुप्त होती जा रही है उसको भी जीवित रखने का यह सही और सटीक माध्यम है इसी को ध्यान में रखते हुवे पहली बार गढ़वाली बोली में रामलीला का मंचन किया जा रहा है।

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