रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- पक्षी हमारे पर्यावरण के सूचक हैं पक्षियों की चहचहाहट के बिना शायद ही हम अपनी सुबह की कल्पना करें विशेषकर पहाड़वासी जिनकी दिनचर्या की शुरुआत ही पक्षियों के कलरव से शुरु होती है।
यूं तो उत्तराखंड में पक्षियों की 700 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन अभी तक इनका कलेक्टिव डेटा नहीं है लेकिन अब पक्षियों की उड़ान पर नजर रखी जा रही है।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में पहली बार वन विभाग व ओरिएंटल ट्रेल्स संस्था मिलकर पक्षियों पर सर्वे करने जा रहे हैं।
नैनीताल वन प्रभाग के डीएफओ टीआर बिजूलाल के मुताबिक चार दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के लिये देशभर से करीब 10 राज्यों के 54 विशेषज्ञ नैनीताल पहुंच गये हैं जो 6 दलों में विभाजित होकर जिले के सातताल,महेश खान व नैना बर्ड कंजर्वेशन में जाकर सर्वे करेंगे और फिर उसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जायेगी।
ओरिएंटल ट्रेल्स संस्था की निदेशक कृति शांकल्य के मुताबिक यहाँ बर्ड टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं और इस सर्वे के बाद न केवल हमारा कलेक्टिव डेटा बढेगा बल्कि यहाँ के स्थानीय और बाहर से आने वाले लोग पक्षियों के रंगीन संसार से रुबरु भी हो पायेंगे साँथ ही मौसम परिवर्तन से पक्षियों की संख्या और प्रजातियों पर पड़ रहे दुष्प्रभावों का भी सटीक आंकलन किया जा सकेगा।
वहीं इस तरह के सर्वे को लेकर पक्षी प्रेमी,प्रसिद्ध छायाकार व पद्मश्री अनूप साह भी बेहद खुश हैं हिमालय को करीब से जानने वाले अनूप साह के मुताबिक यहाँ के कई क्षेत्र बर्ड वॉचिंग को लेकर अंतर्राष्ट्रीय नक्शे में आ चुके हैं और इस सराहनीय पहल के बाद लोगों को रोजगार भी मिलेगा उनके मुताबिक प्रकृति से जुड़ाव के लिये बर्ड वॉचिंग जरूरी है और ये पहल हमें प्रकृति के और करीब ले जायेगी।
पक्षी हमारे जीवन का हिस्सा हैं जिनकी आवाज से हमें भोर का आभास होता है मगर आज प्रदूषण व मौसम परिवर्तन से इनकी कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं आज जरूरत है पक्षियों के बचाव के लिये सही कदम उठाने की और वन विभाग व ओरिएंटल ट्रेल्स संस्था का ये प्रयास एक सकारात्मक शुरुआत है क्योंकि इस सर्वे के बाद न केवल पक्षियों की संख्या व प्रजातियों का डाटा कलेक्ट होगा बल्कि खतरे में आ चुकी प्रजातियों का भी पता लगेगा जिसके बाद विलुप्ति की कगार पर पहुंची इन पक्षी प्रजातियों के संरक्षण पर भी काम होगा।