रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- घोड़ा ये मात्र एक जानवर या शब्द नहीं है घोड़ा प्रतीक है सकारात्मक ऊर्जा का जब भी घोड़ों का जिक्र आता है मन मस्तिष्क में ऊर्जा व विजय का भाव जाग जाता है बात इतिहास की हो या आज की घोड़े हमेशा हमारे जीवन का हमारी यात्रा का अटूट हिस्सा रहे हैं।
आज हम आपको नैनीताल के घोड़ों की विशेषताओं इनके यात्रा वृतांत से रुबरु करा रहे हैं।
नैनीताल में घोड़ों का इतिहास व वृतांत सैकड़ों वर्ष पुराना है चूंकि नैनीताल अंग्रेजों के प्रिय हिल स्टेशनों में एक था और अंग्रेजों को घुड़सवारी बेहद प्रिय थी।
जब अंग्रेज यहां बसे तो आवागमन का एक मात्र साधन घोड़े ही थे नैनीताल में हॉर्स राइडिंग 1941 से शुरु हो गई थी अंग्रेजों ने हॉर्स राइडिंग को शौकिया तौर पर शुरु किया जो आज नैनीताल की शान बन चुकी है और आधी आबादी की रोजी का जरिया भी।
घोड़ा चालक कप्तान रियासत अली घोड़ों से जुड़े कई दिलचस्प किस्से सुनाते हैं वो बताते हैं कि नैनीताल में राइडिंग के लिये जो घोड़े लाते हैं वो उच्च प्रजाति के होते हैं इसलिये खास होते हैं इनके पास 60 इंच तक के ऊंचे घोड़े हैं जो सिंधी व काठियावाड़ प्रजाति के हैं।
रियासत अली बताते हैं नैनीताल के घोड़ों ने बॉलीवुड तक धमक बनाई है “फिल्म मधुमती” जो दिलीप कुमार पर फिल्माई गई थी उसमें भी नैनीताल के घोड़ों ने कमाल दिखाया था इसके अलावा कलाबाज,हुकुमत और अन्य कई फिल्मों में नैनीताल के घोड़ों ने अपना कमाल दिखाया।
घोड़ा चालक सेवा समिति के अध्यक्ष मो० उमर बताते हैं नैनीताल की हॉर्स राइडिंग कई मामलों में विशेष है जो अन्य हिल स्टेशनों से इसको भिन्न बनाती है।
उमर बताते हैं यहाँ 8 किलोमीटर का ट्रैक है और पूरा जंगल से होता हुआ राइडिंग ट्रैक पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है कई पर्यटक जो एक बार यहाँ आते हैं वो बार-बार यहाँ आना चाहते हैं।
वो बताते है नैनीताल में हॉर्स राइडिंग सबसे पहले शुरु हुई थी यहाँ तक कि नौका संचालन से पूर्व यहाँ हॉर्स राइडिंग होती थी और घोड़ों से ही सबसे पहले नाव बनाने को तख्ते यहाँ लाये गये थे और आज नौकायन व घुड़सवारी नैनीताल का सबसे बड़ा आकर्षण है।
बुजुर्ग घोड़ा चालक अमजद अली बताते हैं कि वो इन घोड़ों से अपने बच्चों की तरह प्यार करते हैं हफ्ते में एक बार शुद्ध देसी घी से इनकी मालिश की जाती है जिससे शरीर में दर्द नहीं होता और ये मुलायम भी रहते हैं साँथ ही इनके आहार का विशेष ध्यान रखा जाता है एक घोड़े पर प्रतिदिन 450 से 500 रुपये का खर्च आता है।
आजादी से पहले का दौर देख चुके अमजद अली बताते हैं कि उन्होंने इन वादियों में अंग्रेजों को सैर कराई हालांकि आज काफी बदलाव आ गया घोड़ा स्टैण्ड भी शिफ्ट हो गया है सैकडों वर्षों में बस एक चीज नहीं बदली तो वो है लोगों का घुड़सवारी का शौक।
अगर आप भी नैनीताल आयें तो एक बार जरूर इस शौक को जियें यकीन मानिये 8 किलोमीटर का नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर ये ट्रैक आपको रोमांचित व तरोताजा कर देगा।।।