रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- पर्यटन नगरी नैनीताल विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद ही रोमांचक होता नजर आ रहा है ऐसे में नेताओं के पार्टी बदलने के साथ ही लोगों के सामने अपना उम्मीदवार चुनने को लेकर बड़ा असमंजय खड़ा हो गया है।
कल तक भाजपा-कांग्रेस के नारे को बुलंद करने वाले दोनों ही दलों के नेताओं ने पाला क्या बदला कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों के सामने भी विकल्प चुनने को लेकर बड़ा सियासी संकट उत्पन्न हो रहा है।
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उत्तराखंड की सियासत को करीब से जानने व समझने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ शेखर पाठक ने कहा कि सालों से पार्टी की सेवा करने वाले कार्यकर्ताओं पर राष्ट्रीय पार्टियों ने भरोसा ना जताते हुवे दलबदलू नेताओं पर भरोसा जताया है उसके बाद से कार्यकर्ता तो हताश है ही मगर सबसे ज्यादा फजीहत आम जन की है जो तय नहीं कर पा रहा है कि आखिर किस पर विश्वास किया जाये।
डॉ शेखर पाठक ने कहा चुनावी मैदान में खड़े उम्मीदवारों के पास नैनीताल के स्थानीय मुद्दे जैसे झील का अस्तित्व,बेतहाशा बढ़ रहे अवैध निर्माण, नालियों का रखरखाव व दैवीय आपदा जैसे स्थानीय मुद्दे नदारत हैं झील का अस्तित्व बचाने के बजाय केवल नैनीताल के चेहरे पर क्रीम फतोड़ने का काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तमाम बड़े नेता यहाँ का दौरा कर चुके है मगर बीते 17-18 अक्टूबर को भीषण दैवीय आपदा आई थी उसमें करीब 72 लोगों की मृत्यु हो गई थी मगर उन पर कोई भी दल बात करने को तैयार नहीं है कोई कार्य योजना ऐसी नहीं है जिससे माना जाये कि विकास के एजेंडे पर चुनाव हो रहा हो या यहाँ के जन की किसी को फिक्र हो।
डॉ पाठक ने कहा किसी भी दल के पास स्थानीय मुद्दे नहीं है जैसे ही जनता अपने किसी नेता पर भरोसा जताती है तो वो पाला बदल लेता है ऐसे में जनता किस पर भरोसा करे ये अपने आप में सवाल है और सवाल ये भी कि जो कार्यकर्ता शिद्दत व ईमानदारी के साथ सालों साल नेताओं के पीछे लग कर पार्टियों का जनाधार बढ़ा रहे हैं वो कैसे अपने नेताओं के लिये जनता से वोट मांगे?
आज सबसे बडी दिक्कत अगर है तो वो विकल्प की है कि आखिर किस पर भरोसा किया जाये जो शहर के साथ साथ विधानसभा की जनता का भला कर सके और लोग खुशी मन से वोट कर अपना प्रतिनिधि चुने।