रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल-
मौत
बहुत नजदीक से
जब ,
सर्र से सरक जाए
तब
वो अनुभूति
क्या होगी?
शायद
सुरंग में फंसे वो मजदूर, जब
एक/एक कर बाहर निकले,
उनकी खुशी में छुपी
सारी दास्ता ,
मुंह/जुबानी होगी।
वो एक दिन
अचानक,
कुछ टूटा था,
धंसा था बहुत गहरा।
स्वप्न और हकीकत के बीच,
अंतर कुछ नही।
दिन /रात जैसे
चूहेदानी में बंद,
बस सांसों के
उतार/चढ़ाव
और इंतजार।
इंतजार अनन्त तक का सफर मगर
उस एक रोज
चट्टान काट कर
जैसे देवदूतो का
सुरंग तक आ
पहुंचना।
नयी किरण, प्रकाश, ऊर्जा नयी,
परिंदो सी फड़फड़ाहट के बीच,
सब सुरक्षित
आ पहुंचे और
ह्रदय, शब्दो से परे
धन्य हो गया।
बस एक बात
तुम्हारा इस तरह
मसीहा बन,
सब ठीक कर जाना
धन्यवाद से परे,
धन्यवाद है।
सुरंग में फंसे………