रिपोर्ट- अल्मोड़ा ब्यूरो
अल्मोड़ा-(उत्तराखंड)- पहाड़ों में बहुतायत पाये जाने वाला बिच्छू घास(कंडाली) कैंसर के मरीजों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा के दुष्प्रभावों को कम करने में कारगर साबित होगी। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शोधार्थी बिच्छू घास से दवा बनाने पर शोध पर कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना के तहत एसएजजे विवि के इस शोध कार्य को मंजूरी मिली है।
शासन ने इसके लिये 8.50 लाख रुपये आवंटित किये हैं।
कैंसर रोगियों की कीमोथैरेपी के दौरान डोक्सोरुबिसिन दवा के इस्तेमाल से मरीजों में बाल झड़ना,सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी, भूख न लगना, आंखों से जुड़ी समस्या, एलर्जी जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।
दवा के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए एसएसजे विवि दो साल तक शोध कर कैंसर रोधी(एंटीनियोप्लास्टिक कीमोथैरपी) दवा तैयार करेगा।
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