आदि कैलाश:- रीति-रिवाज के साथ बंद हुए शिव-पार्वती मंदिर के कपाट-  अगले वर्ष मई में खोले जाएंगे मंदिर के कपाट

आदि कैलाश:- रीति-रिवाज के साथ बंद हुए शिव-पार्वती मंदिर के कपाट- अगले वर्ष मई में खोले जाएंगे मंदिर के कपाट

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- आदि कैलाश क्षेत्र में ज्योलिंगकांग के पास स्थित प्रसिद्ध शिव-पार्वती मंदिर के कपाट कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर रं समाज के रीति-रिवाज के अनुसार बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने से पूर्व सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन करते हुए मंदिर के दर्शन किए।

मंदिर के कपाट अब अगले वर्ष मई में श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे।
व्यास घाटी के अंतिम गांव कुटी के अन्तर्गत करीब 14500 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित इस पवित्र मंदिर के कपाट बीते 5 नवंबर को पुजारी गोपाल सिंह कुटियाल और वीरेंद्र सिंह कुटियाल ने पूजा-अर्चना के बाद बंद किए।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन आदि कैलाश क्षेत्र में हल्की बर्फबारी हुई और श्रद्धालु आदि कैलाश पर्वत, पार्वती कुंड और मंदिर के दर्शन कर गुंजी लौट आए।

पुजारियों ने बताया कि नवंबर में होने वाली बर्फबारी की संभावना को देखते हुए हर वर्ष की भांति विधि विधान के साथ यह कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि शिव-पार्वती मंदिर के कपाट अब अगले वर्ष मई में खुलेंगे। मंदिर के कपाट बंद करते समय पुजारियों के अलावा हरीश कुटियाल, हितेश सिंह, रतन सिंह, सुंदर सिंह, कृष्ण सिंह, देवा और बिंदु रोकली आदि मौजूद रहे।
कपाट बंद हो के बाद सभी कुटी लौट आए। इधर आदि कैलाश विकास समिति के अध्यक्ष पुनीत सिंह कुटियाल और महासचिव नगेंद्र सिंह कुटियाल ने कहा कि दो साल पूर्व प्रधानमंत्री के आदि कैलाश में आने के बाद और सड़क आरामदायक हो गई है। अब श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी होने से स्थानीय ग्रामीणों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
:—-30 मई से शुरू हुई यात्रा में अब तक 35 हजार से अधिक यात्रियों ने आदि कैलाश पर्वत,गौरी कुंड,पार्वती कुंड,भीम की खेती, ओम पर्वत आदि के दर्शन कर चुके है:—-
उन्होंने बताया कि बर्फबारी की संभावना को देखते हुए आदि कैलाश में होटल संचालक और खच्चर संचालक हफ्ते भर में अपने गांव कुटी को लौट आएंगे।

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