Exclusive- गुम होती जा रही है साइन बोर्ड पेंटिंग- गुमनाम होते जा रहे हैं शब्दों को मोतियों में पिरोकर कामयाबी के नए आयाम गढ़ने वाले पेंटर- रोजी का भी संकट

Exclusive- गुम होती जा रही है साइन बोर्ड पेंटिंग- गुमनाम होते जा रहे हैं शब्दों को मोतियों में पिरोकर कामयाबी के नए आयाम गढ़ने वाले पेंटर- रोजी का भी संकट

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- साइन बोर्ड पेंटिंग कला का वो रुप जिसमें कलाकार एक-एक शब्द को मोतियों में पिरोकर भावों को व्यक्त करता है लेकिन बदलते दौर के साँथ कला का यह रुप गुम होता जा रहा है और गुमनाम होते जा रहे कामयाबी के नए आयाम गढ़ने वाले पेंटर।

हालात ऐसे हो गए हैं कि जो साइन बोर्ड पेंटर आज भी इस काम को कर रहे हैं या यही काम जिनकी आर्थिकी का आधार है उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
आपको बता दें कि एक समय ऐसा था जब साइन बोर्ड पेंटिंग का सुनहरा दौर था लेकिन जब से फ्लैक्सी आई तो लोगों का रुझान साइन बोर्ड पेंटिंग से हट गया और इसकी जगह ले ली फ्लैक्सी ने धीरे-धीरे साइन बोर्ड पेंटरों ने ये काम छोड़ दिया और आज कला की ये विधा गुमनाम होती जा रही है।

जो गिने चुने पेंटर आज ये काम कर रहे हैं उनके सामने भी रोजी रोटी का संकट गहरा गया है ऐसे ही एक पेंटर हैं रईस जिन्हें साइन बोर्ड पेंटिंग करते-करते 35 साल हो गए 16 साल की उम्र से इन्होंने पेंटिंग का काम शुरु कर दिया था इन्होंने साइन बोर्ड पेंटिंग का अभ्युदय दौर भी देखा है और आज विलुप्ती का दौर भी देख रहे हैं हालाकि इनको चुनिंदा सरकारी विभागों का काम आज भी मिलता है पर वो परिवार के भरण पोषण के लिये नाकाफी है।
ऐसे में उनकी सरकार से उम्मीद है कि साइन बोर्ड पेंटरों को भी कहीं समायोजित कर रोजगार से जोड़ा जाये।

उत्तराखंड