हिन्दू नव वर्ष पर विशेष:-  जानिए कैसी रहेगी ग्रहों की चाल व उपाय

हिन्दू नव वर्ष पर विशेष:- जानिए कैसी रहेगी ग्रहों की चाल व उपाय

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- संवत् २०८२ शाके १९४७
सिद्धार्थी सम्वत्सर में वर्षा अच्छी होवे तथा धरा में खाद्यान्न की उपज अच्छी होवे। शासक वर्ग प्रजा के लिए कार्य करने में प्रसन्नता का अनुभव करे। चैत्र-वैशाख में जनजीवन कष्ट में, ज्येष्ठ-आषाढ़ में दैविक प्रकोप, श्रावण में अतिवृष्टि से हानि, भाद्रपद में खंडवृष्टि, आश्विन में अन्न का भाव सम बना रहे, कार्तिक में अन्न महंगा तथा धातुएँ सम तथा मार्गशीर्षादि चार मासों में लोकविग्रह, राज्यों में जन-विरोध एवं चौपायों में मूल्यवृद्धि होवे।
अन्य मतानुसार प्रजा ज्ञान-वैराग्य से युक्त होवे, अन्न-जल सम्पूर्ण धरा में अच्छा होवें और सम्पूर्ण धरती में खुशहाली बनी रहे।
इस वर्ष राजा सूर्यदेव हैं, जिनके पास मंत्री एवं मेघेश (वर्षा प्रबन्धन) का पद भार भी है। सस्येश तथा निरसेश (सूखे फल एवं मेवे) बुध के पास, धान्येश (शीतकालीन फसल) के स्वामी चन्द्रदेव, रसेश (रस पदार्थ) शुक्र के पास, फलेश (उद्यान एवं फल-विभाग) तथा दुर्गेश (रक्षा विभाग) शनि के पास तथा धनेश भौमदेव के पास है।
दस में से सात विभाग शुभ ग्रहों के तथा तीन अशुभ ग्रहों के आधीन होने से शुभ फलों का प्रभाव बना रहेगा। यद्यपि फल एवं दुग्धादि पदार्थ का कम होना, खाद्यान के उत्पादन में कमी होना तथापि धरा में प्रबन्धन अच्छा होने से किसी को भी कष्ट नहीं होगा। सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुएँ महंगी होंगी। प्राकृतिक बाधाएँ भी समय समय पर आयेंगी, परन्तु ज्यादा हानि नहीं कर पायेंगी। राजनैतिक मतभेदों के चलते कुछ स्थानों में सत्ता परिवर्तन एवं दुर्भिक्ष की सी स्थिति भी बन सकती है, जिससे मंहगाई अधिक हो सकती है और जनसाधारण की परेशानी बढ़ सकती है।
वर्ष एवं वर्षेश लग्नानुसार कुछ स्थानों में दैविक प्रकोप से अत्यधिक जनधन की हानि होने का संकेत मिलता है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के प्रयास फलीभूत होंगे, जिससे सुभिक्ष एवं खुशहाली बढ़ेगी। वर्ष के दूसरे, सातवे, आठवें एवं ग्यारहवें मास कष्टप्रद तथा शेष वर्ष शुभ फलप्रद रहेगा।
मेषः- राशिवालों का वर्ष सामान्य फलप्रद है। द्वादश शनि के प्रभाव से मानसिक विकार और क्लेश बढ़ेगे। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिये। धनागम के श्रोत्रों में रूकावटें आयेंगी। चल-अचल सम्पत्ति में लम्बे समय के लिए निवेश शुभ फलप्रद। वर्ष के तीसरे, छठे तथा ग्यारहवें मासों में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करना श्रेयस्कर रहे। गुरू, शनि एवं केतु का जपदानशुभ रहे।

वृषः राशिवालों का वर्ष शुभ फलदायक होगा। भौतिक संसाधनों वृद्धि, पुराने अवरूद्ध धनागम के श्रोत्र खुलेंगे। कार्यक्षेत्र में प्रभाव अथवा यश-कीर्ति बढेगी। घर में मंगल कार्य उत्सवादि होंगे। वर्ष के चौथे, सातवें तथा बारहवें मासों में विशेष उपलब्धियां प्राप्त करेंगे। राहु और केतु के जपदान करने से अशुभ फलों का निराकरण सम्भव होगा।

मिथुनः- राशिवालों का वर्ष मिश्रित फल दायक रहेगा। गुरू, शनि और राहु ग्रह के प्रभाव से वैमनस्यता तथा अकारण भय से कष्ट प्रायः वर्षभर बना रहेगा। केतु के प्रभाव से सुख-संसाधनों में वृद्धि तथा सफलता के नवीन अवसर प्राप्त होंगे। पांचवें, आठवें तथा ग्यारहवें मास शुभ फलदायक सिद्ध होंगे। गुरू, शनि एवं राहु का जपदान करने से अशुभ फलों में न्यूनता आयेगी।

कर्क:- राशिवालों का वर्ष सामान्य फलकारक है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना मुख्य कर्तव्य होना चाहिये। धन का अपव्यय से अथवा कर्ज के लेनदेन से बचना अत्यन्त सचेत रहना ही बुद्धिमानी होगी। राजकार्य अथवा व्यापार में आकाशवृत्ति से यदाकदा सुख प्राप्त होगा। दूसरे, छठे तथा नवें माह में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करने चाहिये। गुरू, शनि, राहु तथा केतु जपदान करना श्रेयस्कर रहेगा।

सिंहः- राशिवालों का वर्ष शनि की ढैया के प्रभाव में रहेगा। चल-अचल सम्पति में निवेश करना अच्छा रहेगा। मानसिक तथा शारीरिक कष्ट एवं पारिवारिक कलह से मन अशान्त रहेगा। सुख-संसाधनों में वृद्धि होगी। धार्मिक उत्सवों अथवा यात्रा में धन व्यय होगा। तीसरे, सातवें और दसवें मास शुभ फलप्रद शनि राहु और केतु के जपदान एवं शिवार्चन हनुमानाराधना से अशुभ फलों में न्यूनता।

कन्याः- राशिवालों का यह वर्ष धनागम की दृष्टि से अनुकूल रहेगा। नये कार्यों से लाभ मिलेगा। साझा कार्य अथवा मित्रता के वशीभूत होकर कार्य करने में कष्ट होगा। प्रतियोगी परीक्षाओं अथवा पराक्रम के कार्यों में सुखानुभूति। चौथे, आठवें एवं ग्यारहवें मासों में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध कर लेने चाहिये। गुरु, शनि और केतु का जपदान अथवा हनुमानजी की आराधना करना श्रेयस्कर रहे।

तुलाः राशिवालों का वर्ष शुभ फलदायक है। यश सम्मान में आशातीत वृद्धि होगी। राजकार्यों अथवा व्यापार में नये कीर्तिमान स्थापित होंगे। रूके हुए धन की प्राप्ति होगी। अनावश्यक विवादों से बचने से प्रतिस्पर्धीअथवा विरोधी शान्तरहेंगे। नौकरी में स्थानांतरण की संभावनायें बनेगी। पांचवें, नवें और बारहवें मास शुभ फलप्रद। राहु का जपदान तथा शिवार्चन करने से अशुभफलों का निराकरण सम्भव होगा।

वृश्चिकः- राशिवालों का वर्ष मिश्रित फलदायक रहेगा। अचल सम्पति से लाभ। संतान को कष्ट। अकारण भय से मानसिक कष्ट बढ़ेगा। धार्मिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी। पहले, छठे और दसवें मासों में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करने का प्रयास करें। अशुभ फलों का निराकरण करने हेतु शिवार्चन, हनुमान आराथना और गुरू, शनि, राहु तथा केतु का जपदान करना चाहिये।

धनुः- राशिवालों का वर्ष में यश तथा सम्मान में वृद्धि होगी तथा नौकरी में पदोन्नति के योग बनेंगे। अपने मन्तव्य की किसी से भी चर्चा न करें। धनागम के श्रोत्रों में व्यवधान उत्पन्न होंगे, परन्तु नये श्रोत्र भी उत्पन्न होंगे। दूसरे, सातवें तथा ग्यारहवें मास शुभ फलप्रद। शनि, राहु और केतु के अशुभ फलों के निराकरण हेतु शिव‌आराधना, हनुमान आराधना और ग्रह जपदान करना शुभ रहे।

मकरः- राशि वालों को यद्यपि धनागम के कई श्रोत्र मिलेंगे, परन्तु आर्थिक स्वतन्त्रता नहीं मिल पायेगी। व्यापार में धन हानि होने के योग बनेंगे, सावधानी बरतनी चाहिये। तीसरे, आठवे और बारहवें मासों में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करें। अशुभ फल परिहारार्थ गुरू, राहु और केतु का जपदान एवं हनुमान जी की स्तुति करना श्रयेस्कर रहेगा।

कुम्भः- राशि वालों का वर्ष अभी शनि से प्रभावित रहेगा। यद्यपि सुख-संसाधनों में वृद्धि होगी, परन्तु रोग एवं आर्थिक कष्टों से द्वन्द बना रहेगा। अपमानजनक स्थितियों सामना करना पड़ सकता है। अकारण विवादों से बचना चाहिये, अन्यथा सम्बन्ध प्रभावित होंगे। पहले, चौथे तथा नवें माह में आशातीत सफलता। अशुभ फलों के निराकरण हेतु शिवार्चन, हनुमान आराधना और शनि, राहु और केतु का जपदान करना चाहिये।

मीनः- राशि वालों का पूरा वर्ष शनि से प्रभावित रहेगा। भूमि- मकान अथवा वाहन में निवेश करने से लाभ होगा। धनागम में अवरोध बढ़ेंगे। स्वयं तथा पति-पत्नी का स्वास्थ्य प्रभावित होगा। अकारण शत्रु तथा प्रतिस्पर्धी बढ़ेंगे। सुख-संसाधनों में वद्धि होगी। माता-पिता से दूरी बढ़ेगी। दूसरे, पांचवे तथा दसवें मासों में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध होंगे। गुरू, शनि तथा राहु
के अशुभ फलों का निराकरण करने हेतु जपदान, शिवाराधना तथा हनुमान जी की आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा
** अथ विषुवत्संक्रांति चक्रम् **

सिर में (7)
अश्लेषा, मघा, पूफा, उफा, हस्त, चित्रा, स्वाति
नाम अक्षर
डी डू डे डो
मा मी मू मे
मो टा टी टू
टे टो पा पी
पू ष ण ठ
पे पो रा री
रू रे रो ता

मुख में (3)
आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य
नाम अक्षर
कु घ ङ क्ष
के को हा ही
हू हे हो डा

हृदय में (5)
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा
नाम अक्षर –
चू चे चो ला
ली लू ले लो
अ इ उ ए
ओ वा वी वू
वे वो का की

दायें हाथ में (3)
पूभा, उभा, रेवती
नाम अक्षर
से सो दा दी
दू थ झ,ञ
दे दो च ची

बायें हाथ में (3)
श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा
नाम अक्षर
खी खू खे खो
गा गी गू गे
गो सा सी सू

दाहिने पैर में (3)
मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा
नाम अक्षर
ये यो भा भी
भू ध फ ढ
भे भो जा जी

बायें पैर में (3)
विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा
नामअक्षर
ती तू ते तो
ना नी नू ने
नो या यि यू

वामपाद दोष

इस वर्ष विषुवत संक्रांति वामपाद (बायें पैर) में इन नक्षत्रों विशाखा, अनुराधा और ज्येष्ठा में है, अतः वाम पाद दोष इनमें उत्पन्न हो रहा है, जो जीवन में अशुभ संकेतों का कारण बन सकता है। इस दोष के प्रभाव से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं:
पन्डित जी को दान करने का दिन –
1गते वैशाख दिनांक 14.04.2025सोमवार
**चांदी के पांव का दान एवं दही, घी और सफेद कपड़ा एवं दक्षिणा का दान **

रुद्राभिषेक**

इन उपायों से वाम पाद दोष के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और जातक के जीवन में शुभता का संचार हो सकता है।

** अपैट (चंद्रबल अशुद्धि) राशि **

संवत्सर अपैट राशि मेष, सिंह, धनु

मेष संक्रांति अपैट राशि कर्क, वृश्चिक, मीन

अर्थात, इन राशियों के लिए चंद्रबल अशुद्धि है। इस अशुद्धि से शांति पाने के लिए जातक को दुर्गा पूजा, सप्तशती का पाठ करना चाहिए और पंडित जी को उपरोक्त सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए।
अथ आय व्यय चक्रम्
राशि आय व्यय फल
मेष 2 14 लाभ
वृष 11 5 लाभ
मिथुन 14 2 लाभ
कर्क 8 2 क्लेश
सिंह 11 11 विजय
कन्या 14 2 लाभ
तुला 11 5 लाभ
वृश्चिक 2 14 लाभ
धनु 5 5 क्लेश
मकर 8 14 विजय
कुम्भ 8 14 विजय
मीन। 5 5 क्लेश
“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।”

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