गुरु संरक्षण में आध्यात्मिक बल से सनातन का संरक्षण करना ही परम कर्तव्य:- मृणालिनी

गुरु संरक्षण में आध्यात्मिक बल से सनातन का संरक्षण करना ही परम कर्तव्य:- मृणालिनी

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल-(उत्तराखंड)- अर्द्धत्र्यंबक सम्प्रदाय ( कामाख्या कौल ) सम्प्रदाय की पूर्णाभिषिक्त साधिका अंशिका शर्मा “मृणालिनी” ने बताया है कि गुरु मार्गदर्शन में आध्यत्मिक बल संग्रहित कर व नवीन साधको को तराश कर भारत देश के भौतिक धरातल की सुरक्षा व सनातन संस्कृति के आध्यात्मिक बल को सुदृण करना ही परम लक्ष्य है।
यह वह देश है जहां लोगों की नैतिकता समुद्र से भी गहरी है और समस्याएं हिमालय से भी ऊंची है इस परिदृश्य में तप बल एकत्रित कर व सूक्ष्म शक्तियों की सहायता से ही समाज में बृहद परिवर्तन हो सकता है।

इस कार्य में गुरु कृपा अत्यंत आवश्यक है और गुरु कृपा के आशीर्वाद से ही यह सब सम्भव है। इसी क्रम में शीघ्र ही हम सब एक ऐसा केंद्र विकसित कर रहे है शांकर परम्परा का वेदांत,शाक्त परम्परा का तंत्र शास्त्रीय विधिनुसार का अध्ययन करवा सके और इसी स्थान से हम सब लोकपकारी कार्य भी करेंगे।
बताते चले कि अंशिका शर्मा “मृणालिनी” उत्तराखण्ड(हरिद्वार) की स्थायी निवासिनी है और प्रसिद्ध शाक्तागम केंद्र कामाख्या से वाममार्ग में पूर्णाभिषिक्त है।
ज्योतिष एवं तंत्र आदि के माध्यम से लोकोपकार के कार्य करती हैं।

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