जीवन का अर्थ और सार:- दया भट्ट

जीवन का अर्थ और सार:- दया भट्ट

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल-(उत्तराखंड)- विरोध में आवाज़ उठाना आसान था,
लेकिन मैंने चुना नीलकंठ बनने का रास्ता।
जहर को पीना और उसे पचाना,
ताकि दूसरों को उस जहर से बचा सकूँ।

विरोध में खड़ा होना आसान था,
लेकिन मैंने चुना सहनशीलता का रास्ता।
दूसरों के लिए खुद को बदलना,
ताकि उनके जीवन में खुशियाँ ला सकूँ।

नीलकंठ बनना मेरी पसंद थी,
ताकि दूसरों को जीवन का अर्थ समझा सकूँ।
विरोध में आवाज़ उठाने से बेहतर,
मैंने चुना प्रेम और सहनशीलता का रास्ता।

मैंने सीखा कि जीवन में विरोध नहीं,
सहयोग और प्रेम से जीवन को संवारें।
नीलकंठ बनने से मैंने पाया है,
जीवन का अर्थ और उसका सार।

अब मैं जानती हूँ कि जीवन में,
विरोध से नहीं, सहयोग से जीत हासिल होती है।
नीलकंठ बनने का मेरा निर्णय,
मेरे जीवन को नया अर्थ देता है।

मैंने सीखा कि जीवन में प्रेम ही,
एकमात्र ऐसा हथियार है जो जीत दिलाता है।
विरोध और नफरत से केवल दर्द ही मिलता है,
प्रेम और सहयोग से जीवन को संवारा जा सकता है।

नीलकंठ बनने का मेरा संकल्प,
मेरे जीवन को एक नया आयाम देता है।
मैं अब जानती हूँ कि जीवन में,
प्रेम और सहयोग ही असली जीत है।

अब मैं आगे बढ़ती हूँ,
नीलकंठ बनने के अपने संकल्प के साथ।
मैं जानती हूँ कि यह रास्ता आसान नहीं होगा,
लेकिन मैं तैयार हूँ इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए।

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