जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रेस्क्यू सेंटर पहुंची केंद्रीय सी जेड ए की टीम- निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का लिया जायजा

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रेस्क्यू सेंटर पहुंची केंद्रीय सी जेड ए की टीम- निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का लिया जायजा

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर के निरीक्षण में पहुंची सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA)की दो सदस्यों की टीम।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर में बाघ, गुलदार आदि के साथ कई वन्यजीव रखे गए हैं जिसमें 8 टाइगर व 10 लेपर्ड सामिल है जिनको अलग-अलग क्षेत्र से रेस्क्यू कर ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है इनमें कुछ बाघ और गुलदार वह जो आदमखोर थे जिनको वन विभाग द्वारा अलग अलग क्षेत्र से रेस्क्यू कर रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है।
इसके साथ ही कुछ बाघ और गुलदार वह है जिनको जंगलों या आबादी वाले क्षेत्रों में घायल अवस्था में देखे जाने पर वन विभाग द्वारा रेस्क्यू कर उनको रेस्क्यू सेंटर में लाकर कॉर्बेट पार्क के वरिष्ठ डॉ दुष्यंत शर्मा व उनकी टीम द्वारा उनका उपचार किया जा रहा है।
वहीं केंद्रीय सेंट्रल जू अथॉरिटी की दो सदस्यों की टीम ने कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉक्टर साकेत बडोला ने बताया कि केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की विशेषज्ञ टीम ने के ढेला स्थित रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया।

उन्होंने बताया कि हमारे वहां पर विभिन्न वाइल्डलाइफ कनफ्लिक्ट केसेस होते हैं उनमें कई टाइगर लेपर्ड और भी वन्यजीवों को मानव वन्यजीव की घटनाओं को रोकने के लिए कई बार पकड़ना पड़ता है और उनको रेस्क्यू सेंटर में रखना पड़ता है जिसके लिए ढेला में रेस्क्यू सेंटर है,उस रेस्क्यू सेंटर का और कैसे सुधार किया जाए उसको और कैसे बढ़ाया जाए उसमें केयरिंग कैपेसिटी को किस तरीके से और बढ़ाया जाए और जो कमियां हैं उनको दूर कैसे किया जाए और जो भी अन्य चीज हैं उनको और कैसे दुरुस्त किया जाए।
इसी क्रम में सी जेड ऐ (सेंट्रेल ज़ू ऑथोरिटी) द्वारा यहां निरक्षण के लिए केंद्र से टीम को भेजा गया था।
उन्होंने कहा जिस क्रम में दो सदस्य हमारे क्षेत्र में आए उन्होंने कल जो ढेला रेस्क्यू सेंटर है उसका अवलोकन किया और काफी सुझाव उनके द्वारा दिए गए हैं उनके सुझावों के अनुसार उसमें कार्य किया जाएगा और जो सीजेडऐ
की गाइडलाइन है उनके अनुसार उस रेस्क्यू सेंटर को और इंप्रूव और केयरिंग कैपेसिटी को बढ़ाने का कार्य किया जाएगा।

साकेत बडोला ने बताया कि बहुत बार हमारे द्वारा यहां ले गए घायल वन्यजीवों के उपचार होने के बाद उनके फिट होने पर उनको चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की अनुमति के बाद नियम अनुसार उनके लिए उपयोगी जंगलों में छोड़ दिया जाता है,वहीं वन्यजीवों के पुनर्वास, रेस्क्यू व स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं में सुधार और उन्नयन के लिए सलाह देने पहुंची टीम के साथ डॉ. समीर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक भी मौजूद थे।
आपको बता दें कि अभी रेस्क्यू सेंटर में 10 टाइगर व 10 लेपर्ड के बाड़े मौजूद है, आने वाले समय में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह बढ़ाए जाएंगे क्योंकि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्र में स्थित रेस्क्यू सेंटरों में कई बार क्षमता फूल होने की खबरें लगातार प्रकाशित होती रही है।

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