आज मनाया जाएगा श्री गणेश जन्मोत्सव:- आज रात्रि में चांद को देखना होगा अशुभ:- आचार्य पंड़ित प्रकाश जोशी नैनीताल- बहुत महत्वपूर्ण है भगवान श्री गणेश जी का जन्म उत्सव ।

आज मनाया जाएगा श्री गणेश जन्मोत्सव:- आज रात्रि में चांद को देखना होगा अशुभ:- आचार्य पंड़ित प्रकाश जोशी नैनीताल- बहुत महत्वपूर्ण है भगवान श्री गणेश जी का जन्म उत्सव ।

रिपोर्ट- नैनीताल
परन्तु आज रात्री को भूल कर भी चन्द्रमा के दर्शन नही करने चाहिए अन्यथा आप पर बेवजह चोरी का आरोप लग सकता है।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को कलंक चतुर्थी – के नाम से जाना जाता है ।

शुभ मुहुर्त – – –

इस बार सन् 2023 में दिनांक 19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार यानी आज गणेश जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आज चतुर्थी तिथि 19 घड़ी 15 पल अर्थात दोपहर 1:43 बजे तक है। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन स्वाति नामक नक्षत्र 19 घड़ी 18 पल अर्थात दोपहर 1:44 बजे तक है। इस दिन वैघृति नामक योग 54 घड़ी 38 पल अर्थात अगले दिन प्रात 3:52 बजे तक है। यदि करण की बात करें तो आज विष्टि नामक करण अर्थात भद्रा 19 घड़ी 15 पल अर्थात दोपहर 1:45 बजे तक है सबसे महत्वपूर्ण आज के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो आज चंद्र देव पूर्ण रूपेण तुला राशि में विराजमान रहेंगे।


भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रात्रि को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। इस दिन भूलकर भी चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। यदि भूलवश किसी व्यक्ति ने रात को चांद देख लिया तो उस पर बेवजह अर्थात अकारण चोरी करने का आरोप लग सकता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश जी अपने पसंदीदा मोदक और लड्डू खा रहे थे। उनके अधिक मात्रा में लड्डू खाते देख और उनका लंबोदर एवं गजमुख को देखकर चंद्रमा को हंसी आ गई। चंद्रमा के ऐसे व्यवहार को देखकर गणेश जी नाराज हो गए और चाँद से कहा कि तुम्हें अपने रूप का घमंड है इसलिए तुम्हारा क्षय हो जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं जो आज रात तुम्हारा दर्शन करेगा उस पर भी कलंक लग जाएगा। उस दिन भादो शुक्ल पक्ष चतुर्थी का दिन था। इसलिए इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहते हैं। पुराणों में ऐसा भी कहा गया है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भी इस गणेश चतुर्थी का चांद देख लिया था। उनको भी समय न्तक मणि की चोरी करने का आरोप से कलंकित होना पड़ा था। भगवान श्री कृष्ण का भी इस आरोप से मुक्ति पाने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। देवर्षि नारद जी ने जब भगवान श्री कृष्ण से कहा कि आरोप भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के रात चंद्रमा को देखने से लगा है। नारद जी ने बताया कि इस रात गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था। कहानी यहीं पर समाप्त नहीं होती है आगे नारद जी बताते हैं कि गणेश जी के श्राप से चंद्रमा दुखी हो गए और घर में छुप कर बैठ गए। चाँद का दुख देखकर देवताओं ने उन्हें सलाह दी कि मोदक एवं पकवानों से गणेश जी की पूजा करो उन्हें मोदक प्रिय हैं। गणेश जी प्रसन्न हो जाएंगे तो श्राप से मुक्ति भी मिल सकती है। तब चंद्रमा ने गणेश जी की पूजा की उन्हें प्रसन्न किया। गणेश जी ने कहा श्राप पूरी तरह समाप्त तो नहीं होगा जहां तुम्हारी कलायें घटती जाएंगी और इसी तरह बढ़ती जाएंगी। ऐसा इसलिए कि तुम्हें अपनी गलती हमेशा याद रहेगी।इस घटना से यह ज्ञान गणेश जी ने पूरे विश्व को दिया कि किसी व्यक्ति के रूप रंग पर हंसना नहीं चाहिए। तब से इस दिन जो भी चन्द्रमा को देखता है उसे भगवान गणेश जी के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। भूलवश अगर चंद्र दर्शन हो जाए तो इसका सिर्फ एक ही निवारण है इसके लिए उस व्यक्ति को श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध के अध्याय संख्या 56 तथा 57 में उल्लेखित समयन्तक मणि चोरी की कथा किसी विद्वान पंडित जी के श्री मुख से कथा का श्रवण करना चाहिए। जिससे चंद्रमा के दर्शन के कारण होने वाले झूठे कलंक के खतरे को कम किया जा सकता है।
पूजा विधि . —
प्रातः ब्रहम मुर्हुत मे उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करे। तदुपरान्त शोडषोपचार भगवान गणेश जी की पूजा करें । सर्व प्रथम भगवान गणेश जी को स्नान करायें । पंचामृत स्नान पुनः शुद्घ जल से स्नान करायें । रोली . चन्दन अक्षत चढाये । गणेश जी को ग्यारह मोदक या ग्यारह लडडू चढाये। दुर्वाकुर पूजा अर्थात एक एक करके दुर्वा चढाये । फल एवं भेंट स्वरूप द्रव्य चढ़ाएं।

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