60 के दशक में चीन युद्ध के दौरान खाली हुवे गांवों को आबाद करने की कवायद शुरु- प्रशासन ने बनाई कार्य योजना- पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा

60 के दशक में चीन युद्ध के दौरान खाली हुवे गांवों को आबाद करने की कवायद शुरु- प्रशासन ने बनाई कार्य योजना- पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा

रिपोर्ट- उत्तरकाशी ब्यूरो
उत्तरकाशी-(उत्तराखंड)- सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही उत्तरकाशी जिले के चीन सीमा से लगे नेलांग व जाढ़ूंग गांव फिर से आबाद होंगे।
आपको बता दें कि 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान इन दोनों गांवों को खाली करा दिया गया था।
छह दशक बाद अपने घर गांव लौटने की उम्मीद से इन गांवों के ग्रामीण काफी उत्साहित हैं इन गांवों के आबाद होने से इस क्षेत्र में न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत की ओर से सामरिक मजबूती भी मिलेगी।
आजादी से पूर्व भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का एक मार्ग उत्तरकाशी जिले की तरफ से भी था इस मार्ग पर उत्तरकाशी के सीमांत में नेलांग और जाढ़ूंग गांव आबाद थे इन गांवों में करीब 50 परिवार निवास करते थे इनकी आजीविका मुख्य रूप से भेड़-बकरी पालन,कृषि और तिब्बत के साथ व्यापार पर टिकी थी।
समुद्र सतह से करीब साढ़े तीन हजार मीटर उूंचाई पर स्थित इन गांवों के बाशिंदे सर्दियों में पलायन कर हर्षिल बगोरी के पड़ावों में आ जाते थे।

वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध से पूर्व सर्दियों में निचले पड़ावों पर आए ग्रामीणों को वापस अपने गांवों में जाने से रोक दिया गया तब इन गांवों को अग्रिम चौकियों में तब्दील कर ग्रामीणों को आंशिक मुआवजा देकर उनके घर गांव से बेदखल कर दिया गया था तब से यह ग्रामीण अपने शीतकालीन पड़ाव वाले बगोरी और बीरपुर डुंडा गांव में ही बस गए हैं।
बीते छह दशक से इन गांवों के ग्रामीण सेना की जरूरत के लिए अधिग्रहित किए गए अपने घर मकान एवं खेतों के मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे थे।
वर्ष 2018 में सेना के जवानों के साथ दीपावली मनाने हर्षिल पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी से रूबरू हुए बगोरी के ग्रामीणों ने उनके समक्ष अपनी समस्या रखी।

पीएम मोदी के कहने पर ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर पीएमओ को पत्र लिखा इसके बाद से ही इन गांवों को पुनः आबाद करने की कवायद शुरू हो गई है।
बीते 25 मार्च को जिला प्रशासन ने नेलांग और जाढ़ूंग गांव के निर्वासित ग्रामीणों के साथ बैठक कर इन गांवों को पुनः आबाद करने की रूपरेखा तैयार की।
जिला प्रशासन एवं आईटीबीपी के अधिकारीयों ने स्थलीय सर्वेक्षण कर लिया है जल्द ही सर्वेक्षण के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी इसे केंद्र और राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद अमली जामा पहनाया जाएगा।

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