अपने संसाधनों से पैदा करेंगे रोजगार,तो हुनर नही जायेगा बेकार

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रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल- आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है इस महामारी ने पूरे समीकरण बदल कर रख दिये है एक तरह से उथल-पुथल का ये समय है अगर हम उत्तराखंड की बात करें तो ये वो राज्य है जिसने पलायन का दर्द झेला है एक वक्त ऐसा था जब यहाँ के कई गांव जनशून्य हो गये थे विशेषज्ञ बताते है कि 40 लाख से अधिक लोग रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन कर गये थे।

लेकिन कोरोना ने प्रवासियों को फिर से अपनी जमीं की तरफ लौटने को मजबूर कर दिया अभी राज्य में वापस लौट रहे लोगों की संख्या डेढ़ लाख के करीब है हालांकि वापसी का सिलसिला अभी जारी है अभी माइग्रेटियो का एक छोटा सा हिस्सा लौटा है लेकिन उनके रोजगार की चिंता सताने लगी है।

हिमालय के जानकार पद्मश्री डॉ शेखर पाठक बताते है कि सालों बीतने के बाद भी सरकारों ने कोई बेहतर नीति नही बनाई जिससे कि रोजगार सृजित हों अब चूंकि प्रवासी लौट रहे है ऐसे में जरूरत है कि विषय विशेषज्ञ,अनुभवी लोग,जड़ी बूटी विशेषज्ञ एक जगह बैठे संवाद करें और रास्ता निकाले डॉ पाठक का मानना है राज्य के अपने संसाधनों से ही रोजगार सृजित करना होगा बशर्ते उनका संतुलित इस्तेमाल हो उन्होंने कहा यहाँ का जल,यहाँ के जंगल,जमीन इन्ही के संतुलित उपयोग से रोजगार के असीमित अवसर तलाशे जा सकते है।
डॉ पाठक ने कहा सरकार को तात्कालिक कुटीर उद्योग खड़े करने होंगे और खेती के तरीके बदलने होंगे जैसे ऐसी फसलों को प्रमोट करना होगा जो अल्पावधि में तैयार हो जाती है साग,सब्जी आदि का उत्पादन बड़ाना होगा डॉ पाठक कहते है कि अपने ही संसाधनों से रोजगार के अवसर सृजित होंगे बस जरूरत है विषय के जानकारों के साथ मिलकर कारगर नीति बने और त्वरित अमल में आये।
अब इस ओर चिंतन की जरूरत है सरकार को चाहिये कि ऐसे अनुभवी लोगों के अनुभवों का लाभ लेकर प्रदेश में रोजगार के नए अवसर सृजित करें तांकि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नही आती इस कहावत के मायने हम बदल सके।।।।