आगामी विधानसभा चुनाव में ब्राह्यणों के रुख पर सियासी दलों की नज़र

आगामी विधानसभा चुनाव में ब्राह्यणों के रुख पर सियासी दलों की नज़र

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रिपोर्ट- हल्द्वानी
हल्द्वानी- आगामी विधनसभा चुनावों में राजनीतिक दलों की चतुराई को समय से पहले ही
ब्राह्यण समाज ने भांप लिया है समाज समय के अनुरुप लगातार संगठित होकर अपने हक हुकुको की लड़ाई को लड़ रहा है इसी एकता व अखंडता को बरकार रखने के लिये ब्राह्मण समाज निरंतर लोगों को एकजुट करने का काम कर रहा है।
अखिल ब्राह्यण उत्थान महासभा महासभा प्रदेश अध्यक्ष पंडित विशाल शर्मा का कहना है कि महासभा का उद्देश्य समाज को
राजनीतिक मोहरा नहीं बनने देना है समाज की चंद मांगे हैं जिनपर कोई भी सियासी दल कभी गंभीर नहीं दिखा जब ब्राह्यण समाज से यही बर्ताव किया जाना है तो ऐसे में समाज को जागरुक तो होना ही पड़ेगा। वर्तमान सरकार ने राज्य के सार्वजनिक अवकाशों में भगवान परशुराम की जयंती पर अवकाश घोषित नहीं किया इस संबंध में महासभा कई बार मांग कर चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। भगवान परशुराम में ब्राह्यण समाज में अगाध् आस्था है।
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जब इन भावनाओं का ही कोई ख्याल नहीं तो इससे आगे सरकारों या राजनीतिक दलों से उम्मीद ही क्या की जा सकती है इसलिए ब्राह्यण समाज को एकजुट करने के उद्देश्य से महासभा निरंतर काम कर रही है मैदान से लेकर पहाड़ों तक पूरे प्रदेश में ब्राह्यण एकजुट हो रहे हैं।
विशाल शर्मा ने कहा कि महासभा का कोई सियासी एजेंडा नहीं है वो बस इतना चाहती है कि ब्राह्यणों का मान-सम्मान रखा जाए अधर्म से बचकर धर्म के रास्ते पर चलने की सीख ब्राह्यण देते हैं पूरे उत्तराखंड में 20 लाख से अधिक ब्राह्मण होने के बावजूद भी ब्राह्मण अपने अधिकारों से वंचित है और जबकि राजस्थान हरियाणा जैसे कई राज्यों में बहुत कम संख्या में ब्राह्मण होने के बावजूद भी वहां पर ब्राह्मणों को आरक्षण दिया गया साथ ही भगवान परशुराम जयंती पर अवकाश भी दिया गया सामाजिक,धार्मिक व्यवस्थाओं में इंसान को इतना बड़ा
योगदान देने वाले समाज की अनदेखी आखिर कब तक होती रहेगी?।

उत्तराखंड