रिपोर्ट- निखिल बंसल सीनियर रिपोर्टर(गाजियाबाद)
गाजियाबाद- दिल्ली और यूपी बॉर्डर से सामने आईं तस्वीरें देश में लॉकडाउन के उद्देश्य पर बड़ी चोट है। पलायन कर रहे इन लोगों से जब बात की गई तो इनका एक ही जवाब था कि मौत यहां भी है और वहां भी। इन लोगों को इस बात का भी पता है कि गांव लौट जाना जिंदगी की गारंटी नहीं है। लेकिन दोनों राज्यों की सीमाओं पर एकाएक इकठ्ठा हुई यह भीड़ अपनी ही नासमझी की शिकार हुई या किसी साजिश की भेंट चढ़ गई, इनको खुद अंदाजा नहीं।
देश में लॉकडाउन के बाद हर कोई अपनी जगहों पर ठहर गया था, फिर चाहे वो कोई उद्योगपति हो या यूपी बिहार जैसे राज्यों से आये यह मजदूर। सभी ने घर जाने की बेचैनी के बीच शायद खुद को 21 दिन के लिए समझा लिया था। मगर, जैसे ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यूपी सरकार ने बसों का इंतज़ाम कर दिया है, सभी मजदूरों का सब्र टूट गया। सड़कों पर बैठ चुकी धूल फिर से उड़ने लगी। दिल्ली में यूपी से आकर काम कर रहे हजारों लोगों ने दिल्ली-यूपी बॉर्डर की तरफ कदम बढ़ा दिये। कुछ ही घंटों में स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी। क्या लॉकडाउन और क्या सोशल डिसटेंसिंग सब पीछे छूट गया।
इन सबके बीच सवाल फिर वही है कि आखिर चूक कहां हुई ? क्या जरुरत थी उस प्रेस कॉन्फ्रेंस और उस ट्वीट की ? आखिर क्यों बसों का इंतजाम होने की बात बोली गई ? सवाल इसलिए बड़ा हो जाता है कि क्योंकि स्थिति उसी के बाद नियंत्रण से बाहर होती गई। एक अनुमान के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में यूपी के मजदूरों की संख्या दिल्ली से कम नहीं है, मगर वहां स्थिति इतनी गंभीर नहीं हुई। अपने प्रदेश के मजदूरों के दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में जमा होने की खबर ने यूपी सरकार को भी चिंता में डाल दिया। आनन-फानन में सरकार ने सैकड़ों की संख्या में बसों का इंतजाम किया।
एक तरफ जहां पलायन कर रहे लोग सड़क पर संघर्ष कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली और यूपी सरकार के बीच इस मुद्दे पर जंग छिड़ गई। एक दूसरे के ऊपर जमकर ट्वीट हुए, मगर पलायन जारी रहा। यहां समझना होगा कि यह वक्त राजनीति का नहीं है। समझना होगा कि अगर कोरोना का वायरस शहरों की सीमाएं लांघ कर गांवों में चला गया तो स्थिति कितना विकराल रूप ले लेगी।