चिन्नास्वामी भारती के जन्मदिन पर राष्ट्रीय ई संगोष्ठी

चिन्नास्वामी भारती के जन्मदिन पर राष्ट्रीय ई संगोष्ठी

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- प्रसिद्ध विद्वान चिन्नास्वामी सुब्रहण्यम भारती के जन्म दिवस के अवसर पर भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ और हिंदी विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से ‘ भारतीय भाषा उत्सव ‘ शीर्षक से राष्ट्रीय ई.संगोष्ठी का आयोजन किया गया l कार्यक्रम के आरंभ में संगोष्ठी की संयोजिका प्रोफेसर चंद्रकला रावत द्वारा स्वागत वक्तव्य देते हुए आज के आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अनुवाद के अध्ययन द्वारा भारतीय भाषाओं में एकता स्थापित करने का सुझाव दिया गया कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल जैन द्वारा राजस्थानी भाषा और साहित्य पर चर्चा करते हुए अनेक लोक साहित्य की एकरूपता पर चर्चा करते हुए विभिन्न भाषाओ के लोक साहित्य में व्याप्त समरुपता को उदघाटित किया गया , विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर ए. अच्युतन जी ने अपने वक्तव्य में दक्षिण तथा उत्तर के साहित्य में व्याप्त एकता के विषय में वक्तव्य दिया गया, प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रावाल्टा ने रावाल्टी भाषा और साहित्य पर अपने विचार प्रस्तुत किए, सोबन सींह जीना वि वि अल्मोड़ा की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ प्रीति आर्या ने कुमाउनी भाषा और उसका साहित्य शीर्षक से व्याख्यान देते हुए कुमाउनी जागर, रास और वीर गाथा काल के रासो साहित्य की एकरूपता पर शोध कार्य करने की आवश्यकता बताई

lकार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर दिवा भट्ट ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में लोक भाषा के साहित्य को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए, कार्यक्रम में चिन्नास्वामी सुब्रमण्य भारती का परिचय हिंदी विभाग की शोधार्थी शिवानी शर्मा द्वारा दिया गया कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों तथा वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर निर्मला ढेला बोरा द्वारा लोक भाषा की एकरूपता पर चर्चा की गयी l कार्यक्रम का सह – संयोजन एवं संचालन हिंदी विभाग के शोधार्थी अरविंद कुमार मौर्य द्वारा किया गया l कार्यक्रम में प्रोफेसर शिरीष मौर्य, डॉ शुभा मटियानी, डॉ शाशि पांडे तथा अन्य सभी अध्यापकगण, डॉ दिवाकर सिंह, डॉ नेहा भाकुनी सहित देश के कई राज्यों के शोधार्थियों, छात्रों एवं साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया।

उत्तराखंड