नाथों के नाथ “नाथ साह”

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रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल- आपने चिराग तले अंधेरे वाली कहावत तो जरूर सुनी होगी लेकिन हमने उस कहावत को महसूस भी किया है और आज एक छोटी सी कोशिश कर रहा हूँ उस चिराग की रोशनी को बिखेरने की।
अगर आप नैनीताल में रहते है तो आपने नाथ साह जी यानि मोहन लाल साह जी की दुकान से सब्जियां जरूर खरीदी होंगी आज हम आपको उनके दिव्य व्यक्तित्व से रुबरू करा रहे है।
मोहन लाल साह जी बचपन से ही बेहद जुझारु,कर्मठ और अनुशासित रहे है इनके पिताजी का स्वास्थ्य बेहतर नही रहता था तो 8 वर्ष की आयु से ही दुकान में उनका हाथ बंटाने लगे लेकिन बेहद प्रखर बुद्धि के नाथ साह जी ने उस उम्र से ही न केवल अपने पिता की जिम्मेदारियों में हिस्सेदारी की बल्कि अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और 1966 में आगरा विश्व विद्यालय से एम कॉम किया और एक शिक्षक के रुप मे 34 वर्षो तक अपनी सेवाएं दी और अपने ज्ञान को छात्रों में बांटा लेकिन शिक्षणेत्तर के बाद जो समय बचता वो अपनी सब्जी की दुकान में बैठते आज नाथ साह जी 78 वर्ष के हो गये है और उसी लगन के साथ दुकान संभाल रहे है उनके चेहरे की चमक और उनका अथाह ज्ञान व सादगी भरा जीवन हमेशा प्रेरित करता है उनकी जुंबा में इतनी मिठास की कई बार तो लोग यू ही उनको सुनने चले जाते है देश दुनिया का ज्ञान,सामाजिक मुद्दों को लेकर बेबाक राय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर जब वो बात करते है तो लगता है गुरुजी की क्लास चल रही है उनकी दुकान पर जो भी जाता है वो उनके ज्ञान उनके अनुभव और हर किसी को सम्मान देने के उनके व्यक्तित्व को नमन जरूर करता है।
हम भी कई वर्षों से नाथ साह जी की दुकान पर जाते है या यूं कहें उनका व्यक्तित्व हमे वहाँ खींच ले जाता है तो अतिशयोक्ति नही होगी हर बार उनसे कुछ नया सीखने को मिला।
आज चूंकि पूरी दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है और कई दौर देख चुके नाथ साह जी बताते है कि सब्जी की इसी दुकान से उन्होंने वक्त को बदलते देखा है वो कहते है तब नैनीताल को सामाजिक राजधानी की उपाधि दी जाती थी और यहा बड़ा सुसंस्कृत और अभिजात वर्ग था आज जब कोरोना से निपटने के लिये और लॉकडाउन का पालन कराने के लिये प्रशासन को नाको चने चबाने पड़ रहे है और फिर भी शत प्रतिशत कामयाबी दिवास्वप्न है उस दौर में लोग अपनी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों को लेकर इतने जागरूक थे कि स्वतः नियमो का पालन करते थे।

सोचा हम खबरों के लिये जगह जगह घूमते है और फिर आज सौभाग्य मिला उनके व्यक्तित्व को लेकर कुछ लिखने का हालांकि ये उनके सागर जैसे व्यक्तित्व के सामने गागर जैसा है फिर भी आज संतुष्टि हुई कि हमे नाथ साह जी से बहुत कुछ सीखने को मिला।
सादा जीवन उच्च विचार के धनी नाथ साह जी यूं ही अपनी मिठास घोलते रहे और उनका ज्ञान पुंज हमेशा रोशनी बिखेरे।
अगर आप भी उनके बहुमुखी प्रतिभा को उनके व्यक्तित्व की मिठास को महसूस करना चाहते है तो एक बार जरूर उनके दर्शन करें यकीन मानिये उनका चुम्बकीय आकर्षण आपको बार बार वहा ले जायेगा।।।