रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल:-पहाड़ की मिट्टी में मिठास होती है,स्वाद होता है,सुगंध होती है और जब इस मिट्टी में मसाले उगते है तो उसकी सुगंध पूरी फिजा को सुगंधित करती है पहाड़ के इन्ही शुद्ध मसालों की सौंधी सुगंध से इन दिनों पूरी तराई महक रही है और इन मसालों का स्वाद ले रहा है पूरा देश।
हल्द्वानी के लीलाधर पाण्डे पिछले 37 वर्षों से पारंपरिक जैविक मसालों पर काम कर रहे है 1984 में खादी ग्रामोद्योग से लोन लेकर इन्होंने अल्मोड़ा के दनिया से मसालों का काम शुरु किया मकसद था स्वरोजगार के साथ साथ पहाड़ के शुद्ध सुगंधित मसालों का स्वाद हर तक फैलाना।
पनचक्कियां बंद हो गई लिहाजा 2017 में लीलाधर पाण्डे परिवार सहित हल्द्वानी के लामाचौड़ में आ बसे 2019 में उन्होंने यहा पर घर बनाया पहाड़ के मसालों का स्वाद यहा भी नही भूले और उन्होंने फिर से अपने पुराने कारोबार को फैलाना शुरु किया पनचक्की की जगह बिजली वाली मशीन ने ले ली लेकिन मसालों का स्वाद आज भी लाजवाब।
वहा पनचक्की से मसाले पीसते और तैयार मसाले बाजार में बेचते धीरे धीरे कारोबार तो बड़ा लेकिन पानी की कमी के चलते
लीलाधर पाण्डे पहाड़ो से मसाले खरीदकर लाते है और बिना रंग और कैमिकल के शुद्ध मसाले तैयार करते है उनके मसाले आज पहाड़ी क्षेत्रों के अलावा देशभर में जाते है।
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लीलाधर बताते है कि यहा की जैविक हल्दी रंग,सुगंध और स्वाद में जितनी लाजवाब है उतनी ही स्वास्थ्य के लिये गुणकारी भी ये हल्दी घुटनो में दर्द,अंदरुनी चोट और सूजन में बहुत ही लाभकारी है और उनके वहा से हल्दी अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण विदेशों तक जाती है।
भारत को मसालों का देश कहा जाता है ऐसे में उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य के पहाड़ी जिले से निकलकर यहा के मसालों की सुगंध से न केवल लीलाधर पाण्डे का घर आंगन महक रहा है बल्कि इनकी सुगंध पूरे देश को महका रही है।।।।