बचपन पर दोहरी मार- एक तरफ कोरोना तो दूसरी तरफ अवसाद- एक्सपर्ट बोले मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की है जरूरत

बचपन पर दोहरी मार- एक तरफ कोरोना तो दूसरी तरफ अवसाद- एक्सपर्ट बोले मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की है जरूरत

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर जहाँ बड़े बुजुर्गों के लिये काल बनकर टूटी है वही अब इसका साया बच्चों पर भी मंडराने लगा है और कई बच्चे इससे संक्रमित भी हो गये है।
ऐसे में आज बच्चों पर दोहरी मार पड़ रही है एक तरफ कोरोना का ख़ौफ तो दूसरी अवसाद बचपन के लिये बड़ा खतरा बन गया है।
बात नैनीताल की करें तो यहाँ भी करीब 25 फीसदी बच्चें कोरोना से संक्रमित है।

कोरोना की तीसरी लहर आने की सूचनाओं व परिवार में आइसोलेट माता-पिता से बच्चों की दूरी व संवाद विहीन माहौल बच्चों के लिये अवसाद जैसी स्थिति उत्पन्न कर रहा है इतना ही नही जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार से कोरोना का शिकार हो रहा है उसका भी विपरीत असर कोमल मन पर पड़ रहा है जिस कारण तेजी से बच्चों में अवसाद बढ़ रहा है।
बीड़ी पाण्डे अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एम एस रावत के मुताबिक बच्चे संक्रमित तो हो ही रहे है लेकिन अस्पताल आने वालों की संख्या कम है कई ऐसे है जो डर से नही आ रहे है उन्होंने कहा करीब 25 फीसदी बच्चें ऐसे है जो परिवार में संक्रमण की वजह से संक्रमित हुवे है।
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वही अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ गिरीश पाण्डे की माने तो संक्रमण की दर तेजी से बढ़ी है लोग घरों में आइसोलेट एक दूसरे से संवाद बंद है संक्रमित लोग अलग कमरों में है लंबे समय से स्कूल भी बंद है ऐसे में बच्चों के भीतर नकारात्मक भाव पैदा हो रहा है जिससे कि बच्चों में डिप्रेशन की समस्या उत्पन्न हो रही है लिहाजा हम सभी को बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है जिससें कि अवसाद में जाते बचपन और आने वाले भविष्य को बचाया जा सके।

उत्तराखंड