रंगों की थाती को समेटता शब्दों का महारथी

रंगों की थाती को समेटता शब्दों का महारथी

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- हाथों में कलम, जेहन में शब्दों का अपार भंडार,अनुभव और ज्ञान की कुंजी जब शब्दों में ढलती है तो पाठक इनकी लेखनी के कायल हो जाते हैं हम बात कर रहे है वरिष्ठ पत्रकार किशोर जोशी की।
मूलरुप से चम्पावत निवासी किशोर जोशी ने पत्रकारिता की “पहाड़ों के झरोखे” से की प्रतिभा के धनी किशोर दा ने इस पाक्षिक समाचार पत्र में अपनी लेखनी के जरिये लोगों के दिलों को छुआ यहाँ काम करते हुवे उन्होंने न केवल पत्रकारिता की बारीकियां सीखी बल्कि यही से उनकी लेखनी में भी निखार आता गया।
वर्तमान में किशोर जोशी नैनीताल से “दैनिक जागरण” के लिये काम कर हर घर में जाना पहचाना नाम बन गये है अपने दैनिक समाचारों के अलावा सम सामयिक विषयों,महान विभूतियों,आसपास की प्रेरणादायी खबरों के अलावा समाज से जुड़े अलग-अलग विषयों पर इनके लेख पड़ने को मिलते है।


कहते है ना कि ” आपका व्यवसाय सबके सामने पनपता है और आपकी प्रतिभा एकांत में” अब हम आपको किशोर दा के व्यक्तित्व के उस पहलू से रुबरु करा रहे है जो सबसे छिपा है और उनके इस पहलू का परिचय कराने में हमें अपार हर्ष भी हो रहा है क्योंकि इस रंग पर्व पर हमें किशोर दा के इस छुपे पहलू को जानने का मौका मिला।
चूंकि किशोर दा चम्पावत से है जहाँ से खड़ी होली की शुरुआत हुई किशोर दा का बचपन भी परम्पराओं व होली के स्वर्णिम इतिहास से जुड़े चम्पावत के गंगनोला गांव की गलियों में बीता होली गायन की परम्परा इनको विरासत में मिली रोजी की तलाश में गांव की गलियां तो छूट गई लेकिन इनके संस्कारों में रची बसी विरासत एकांत में पनपती रही।
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आज पंत पार्क में किशोर दा को लयबद्ध होली गुनगुनाते सुन लिया तो उनके व्यक्तित्व के इस पहलू को जानने का मौका मिला उनके इस पहलू को जब छुआ तो रंगों की वो फुहारें निकली जिसने तन मन को भिगो दिया किशोर दा को 200 से अधिक खड़ी होलियां कंठस्थ है।
काम की भागमभाग में गांव तो नही जा पाते लेकिन वो अन्य माध्यमों से अपनी माटी से जुड़े रहते है अपनी इस समृद्ध परम्परा को सहेजने के लिये किशोर दा युवाओं को फोन पर खड़ी होली के तर्ज व शब्दों का अर्थ समझा रहे है।
सच में किशोर दा शब्दों के वो महारथी हैं जो रंगों की इस थाती को समेटे रहा है उनका व्यक्तित्व प्रेरणा है उन लोगों को जो अपनी परम्पराओं को बिसराते जा रहे है।।।

उत्तराखंड