रामायण और शराब ये कैसा संगम?

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- कोरोना महामारी से बचाव के लिये देश मे लॉकडाउन किया गया है और लोग घरों में रहे परिवार के साथ स्वस्थ्य मनोरंजन लें इसके लिये सरकार द्वारा रामायण,महाभारत के साथ ही कई धार्मिक नाटकों का प्रसारण भी किया जा रहा है लेकिन उत्तराखंड में कल से शराब की दुकानें खुलने जा रही है लॉकडाउन के बीच सरकार का ये फैसला किसी के गले से नही उतर रहा है।
एक ओर जहां लोग दो वक्त की रोटी को संघर्ष कर रहे है ऐसे में शराब की दुकानें खुलने के बाद शायद हर घर में रामायण की जगह केवल महाभारत ही हो।
इन्ही सारी दिक्कतों व सरकार के इस फैसले पर विरोध भी शुरू हो गया है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता डी के जोशी के मुताबिक एक ओर सरकार सोशियल डिस्टेंस की बात करती है और नशे में व्यक्ति सोशियल डिस्टेंस का कितना पालन करेगा ये तो वक्त बतायेगा पर सरकार को राशन बांटने की नौटंकी बंद कर देनी चाहिये क्योंकि शराब की दुकानें खुलने के बाद नशे के आदि लोग घर मे राशन नही बल्कि शराब की बोतल लेकर जायेंगे लिहाजा सरकार को तत्काल प्रभाव से अपने आदेश को वापस लेना चाहिये।

वही प्रसिद्ध रंगकर्मी व राज्य आंदोलनकारी जहूर आलम भी सरकार के इस फैसले को दुखदायी बताते हुवे कहते है कि लॉकडाउन में अगर सबसे ज्यादा जरूरी कुछ है तो वो है रोटी लेकिन सरकार राजस्व कमाने के चलते लोगों को मौत बांटने की तैयारी कर रही है।
वही सरकार के इस फैसले का महिलाओं ने भी विरोध किया है समाजसेवी व आश संस्था की सचिव हेमलता बहन ने कहा कि शराब की दुकानें खुलने से घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ेंगी और कई परिवारों का सुख चैन खो जायेगा ऐसे में सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है।।।