वट सावित्री का व्रत और उसका धार्मिक महत्व

वट सावित्री का व्रत और उसका धार्मिक महत्व

Spread the love

रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- भवाली निवासी आचार्य व्यास कैलाश चंद्र सुयाल बीते करीब 25 सालों से कुमाऊनी भाषा में कई भागवत कथा शिव पुराण देवी भागवत आदि का आयोजन कर चुके है।

उन्होने बताया कि माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थी।
वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है इसमें एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है मान्यता है कि वट वृक्ष ने ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके इसलिये वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है।
[banner caption_position=”bottom” theme=”default_style” height=”auto” width=”100_percent” group=”banner” count=”-1″ transition=”fade” timer=”4000″ auto_height=”0″ show_caption=”1″ show_cta_button=”1″ use_image_tag=”1″]
कैलाश चंद्र सुयाल बताते है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनों का वास होता है इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

उत्तराखंड