सुरों के सरताज- भजन गायकी ने दिलाई अलग पहचान

सुरों के सरताज- भजन गायकी ने दिलाई अलग पहचान

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- संगीत साधना है,संगीत प्रेम है,संगीत आत्मा की वो आवाज है जो सुरों में पिरोकर सबको पुलकित करती है आज हम आपको सुरों के ऐसे सरताज से मिला रंहे है विपरीत परिस्थितियों ने जिनके सुरों को और निखारा हम बात कर रहे है हल्द्वानी निवासी नीरज सनवाल की।
नीरज सनवाल को बचपन से ही संगीत से लगाव रहा जब ये 9 वर्ष के थे तो कुछ गुनगुना रहे थे स्कूल के प्रधानाचार्य ने इनकी आवाज सुनी जो उनको बेहद पसंद आई वही से नीरज का संगीत सफर शुरु हुआ स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी आवाज देने लगे महज 9 साल की उम्र में इनका पहला भजन रामपुर रेडियो स्टेशन में रिकॉर्ड हुआ। कुमाऊँनी फिल्म ईजा के “दुर्व्यसन सब छोड़,अपना हरि हूँ नाता जोड़” से इनको पहचान मिली।

नीरज अक्सर जगरातो में भजन गाने लगे संगीत की ललक ऐसी थी कि साँग एंड ड्रामा डिविजन दिल्ली के लिये चयनित हो गये पर कहते है ना कि जो दर्द की हद से गुजरे उसके सुरों में उतनी ही ज्यादा तासीर होती है दिल का दर्द जब संगीत बनकर स्वरबद्ध होता है तो आत्मा को छू जाता है।

नीरज सनवाल के जीवन में भी वही दौर आया मात्र 15 वर्ष की उम्र में पिता का साथ छूट गया तीन बहनों की,माँ की जिम्मेदारी इनके ऊपर आ गई अपने सपने को बिसरा कर घर लौट आये जब जिम्मेदारियां कुछ कम हुई तो फिर से संगीत की तरफ लौटे।

नीरज सनवाल की आवाज में दर्द भी होता है मिठास भी भावनाएं भी है और साधना भी नीरज को गायकी की दुनिया में पहचान भजन गायन से मिली शुभ टीवी पर इनका गाया स्वरचित भजन “जय गणपति जय गणपति जू” लोगों को खूब पसंद आया वर्तमान में नीरज शुभ टीवी के लिये तो गाते ही है साथ ही संगीत क्लास भी चलाते है और स्थानीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में बतौर जज शिरकत भी करते है।

नीरज लोक संगीत में भी रुचि रखते है लेकिन उनकी गायकी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो किसी एक खिताब में नही बंधी वो जिस मिठास से लोक गीतों में अपनी आवाज देते है उसी मिठास से हिंदी गीतों को और भक्ति संगीत में तो उनका जवाब नही जब वो भजन गाते है तो लगता है सुर आत्मा से निकल सीधे ईश्वर से साक्षात्कार कर रहे है।
लता मंगेशकर को अपना आदर्श मानने वाले नीरज सनवाल ने संघर्षो से जूझकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है उम्मीद है कि नीरज एक दिन संगीत व सुरों की राह पर चलते-चलते अपने आदर्श लता जी से जरूर मिलेंगे और उनका ये सपना भी साकार होगा क्योंकि सुरों का कोहिनूर जब चमकेगा संगीत की दुनिया को रोशन जरूर करेगा।

उत्तराखंड