रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- नैनीताल में झील किनारे बना आँखों का अस्पताल सीतापुर,ये अस्पताल अपने आप में स्वर्णिम इतिहास को समेटे है करीब 100 वर्षो से भी अधिक पुराने सीतापुर अस्पताल को इलाहाबाद निवासी डॉ एम पी मेहरा ने एक ट्रस्ट के रूप में बनाया।
नैनीताल में इसे खोलने का मकसद पहाड़ के मरीजों को सुविधा देना था संस्था ने तब अल्मोड़ा,बागेश्वर,पिथौरागढ, रानीखेत व हल्द्वानी सहित अन्य जगहों पर करीब 12 शाखायें खोली जिससे कि पहाड़ के मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके।
“गरीबों असहायों की सेवा करो वो तुम्हें दुवायें देंगे” इसी भावना को लेकर बना ये अस्पताल उस वक्त एशिया में टॉप के अस्पतालों में शामिल था जहाँ देश के हर कोने से मन में उम्मीद सजाये लोग आते थे और आँखों की रोशनी लेकर लौटते थे।
सीतापुर अस्पताल की लोकप्रियता और लोगों की जरूरत को देखते हुवे कई जगह इसकी शाखायें खोली गई।
वर्तमान में नैनीताल सीतापुर अस्पताल में सुशील बोहरा अपनी सेवायें दे रही है सुशीला बोहरा विदेश में शिक्षा लेने के बाद भारत आई टेडी मेढ़ी आँखों व कम रोशनी का बिना ऑपरेशन उपचार में पारंगत सुशील बोहरा अब तक सैकड़ों मरीजों को ठीक कर चुकी है सेवा को अपना कर्तव्य मानने वाली डॉ बोहरा अपना पूरा शरीर दान कर चुकी है और अपने पूरे मन से समर्पित होकर आज भी रोशनी बांट रही है।
टेडी मेढ़ी आँखों व कम रोशनी वाले मरीजों के लिये डॉ बोहरा उम्मीद का दूसरा नाम है इसी लिये आज भी पहाड़ के साथ ही देशभर के मरीज यहाँ आते है और अपनी निराशा को आशा में बदलकर ले जाते है।
झील किनारे प्रकृति के सानिध्य में जब मरीज बिना ऑपरेशन उपचार लेते है तो यहाँ रोशनी के साथ-साथ प्रकृति की रमणीयता उनके ज्ञान चक्षु खोलने का भी काम करती है।