रिपोर्ट- खैरना(नैनीताल)
खैरना(नैनीताल)- अलग उत्तराखंड राज्य बने 19 बरस बीत गये यहाँ इतने सालों में सरकारें आई और चले गई और वक्त के साथ कई चीजें भी बदली मगर इन 19 सालों में अगर कुछ नही बदला तो वो है अस्पतालों की दयनीय हालात।
सरकार गांव के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा जरूर करती है मगर धरातल पर तस्वीर जस की तस है और आज भी लोग वही पुरानी व्यवस्था पर चलने को मजबूर है।
आज हम आपको नैनीताल के खैरना में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बत्तर हालात से रूबरू कराते है यहाँ पर पिछले करीब 10 दिनों से एक बड़ी आबादी के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की मांग को लेकर धरने पर बैठने को मजबूर है
और सरकारी उदासीनता कहें या लचर कार्य प्रणाली अभी तक इन लोगों की सुध लेने के लिये कोई नही पहुंचा ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि खैरना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों की तैनाती करें जिससे कि लोगों को बड़े अस्पतालों का रुख न करना पड़े और लोगों को यही उपचार मिले।
धरने पर बैठे लोगों का आरोप है कि लंबे समय से यहाँ पर डॉक्टरों की कमी का हवाला शासन-प्रशासन को दिया गया है मगर अभी तक कोई सुध नही ली गई है और अब ग्रामीण आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है ग्रामीणों के मुताबिक अब उनको सिर्फ न्याय पालिका पर भरोसा है जल्द ही एक दो रोज में वो अपनी फरियाद को हाईकोर्ट की शरण मे लेकर जायेंगे और वही से उनको न्याय मिलेगा।
आपको बता दें कि हाल ही मैं नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी कर राज्य के सभी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के साथ ही वेंटिलेटर की व्यवस्था करने को कहा था जिस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि सभी अस्पतालों में जल्द ही वेंटिलेटर सहित तमाम चीजों को दुरुस्त किया जायेगा मगर खैरना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वेंटिलेटर तो दूर यहाँ डॉक्टरों की तैनाती तक नही कर पाई सरकार।
एक बड़ी आबादी का एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज पूरी तरह से सरकारी उदासीनता का शिकार हो रहा है और लोग कोरोना संकट काल मे उपचार के लिये तरस रहे है।