रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल:- भले ही आज विषम से विषम गांव भी सड़को से जुड़ गये हों राज्यभर में सड़कों का जाल बिछ गया हो लेकिन आज हम आपको 40 हजार से ऊपर की आबादी के 45 ग्राम सभाओं की उस हकीकत से रुबरु करा रहे है जिस तरफ हुक्मरानों का ध्यान ही नही गया “चिराग तले अंधेरे” की कहावत तो आपने सुनी होगी और आज उसी कहावत का मूर्त रुप हम आपको दिखा रहे है।
नैनीताल जिला मुख्यालय से सटे पंगूट,बगड़,सौड़,बांसी, हरियाल, सिगड़ी और विनायक सहित 45 से अधिक ग्राम सभाओं को अर्से से अपने इलाके में बस का इंतजार है हालांकि इन गांवो में प्राइवेट टैक्सियां तो चलती है जिनका किराया भी मनमाना है ये परिवहन विभाग के दायरों से कोसो दूर है।
15 किलोमीटर की यात्रा के लिये भी 50 रुपये से अधिक का किराया और उस पर भी ओवरलोडिंग भेड़ बकरियों की तरह लदकर जान हथेली पर रखकर सफर करना इनकी मजबूरी है।
इन इलाकों में बसों का संचालन नही होने से वैसे तो पूरी आबादी प्रभावित हो रही है लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे है छात्र इंटरमीडिएट के बाद जिनके लिये उच्च शिक्षा की सम्भावनाये दम तोड़ देती है कुछ नैनीताल में किराये में रहकर अपनी शिक्षा पूरी करते है तो अधिकतर संख्या ऐसे छात्रों की होती है जो प्राइवेट पढ़ाई पूरी करते है।
इतनी बड़ी आबादी जो सियासत के समीकरण बदलने का माददा रखती है लेकिन अर्से से बस से जुड़ने का इंतजार कर रहे है तकरीबन 2 दशक पहले इस क्षेत्र में केमू बस का संचालन हुआ लेकिन प्राइवेट टैक्सियों के विरोध के चलते एक वर्ष बाद ही केमू बस का संचालन भी ठप हो गया।
ग्रामीण बताते है कि रोडवेज बसों के संचालन में यहा सबसे बड़ी बाधा प्रॉपर लिंक रोड का ना होना है हालांकि नैनीताल से सौड़,बांसी होते हुवे कोटाबाग तक टैक्सी मार्ग तो है लेकिन इनके बीच मे कई सौ मीटरो के पैच छूटे है और इसके लिये कई बार प्रशासन से मांग भी की जा चुकी है हर बार चुनावो में इस बड़ी आबादी को उम्मीद तो जगती है लेकिन समय के साथ वो धुमिल हो जाती है।
कई सरकारें आई मुखिया बदले पर नही बदली तो इन गांवों की तकदीर इनका इंतजार आज भी खत्म नही हुआ पता नही ये इंतजार और कितना लंबा होगा।।।।