हस्तशिल्प को नई ऊंचाई देते- बड़वाल

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रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल- रिंगाल पर जब इनकी उंगलियों का जादू चलता है तो कला बोल उठती है एक एक रेसे से तराशे डिजाइन हस्तशिल्प को नई ऊंचाई दे रहे है।

हम बात कर रहे है चमोली जिले के किरुली गांव के निवासी 65 वर्षीय दरमानी लाल बड़वाल की दरमानी लाल हस्तशिल्प के प्रकाश पुंज है जिनका पूरा जीवन इस कला को समर्पित है।
दरमानी लाल पिछले 40 वर्षो से बेजान रिंगाल में जान डाल रहे है इनके द्वारा तैयार रिंगाल के डिजाइनों का हर कोई मुरीद है जब अपने हुनर को जब ये सोच में ढालते है तो बेजान रिंगाल को मिल जाता है आकार।
ये रिंगाल से लैंप सैट,ट्रे,डस्टबिन,कलमदान, टोकरी, फूलदान व डलिया सहित कई तरह के उत्पाद तैयार करते है जो पूरी तरह ईको फ्रैंडली है ये हमारी संस्कृति हमारी कला हमारे प्राचीन हस्तशिल्प को नई पहचान तो दे ही रहे है साथ ही इनके ईको फ्रैंडली उत्पाद पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देते है।
आज के भौतिकवादी युग मे जहाँ सब बनावटी जीवन जी रहे है वही दरमानी लाल न केवल अपनी पुस्तैनी हस्तशिल्प की पहचान को आगे बड़ा रहे है बल्कि ये उन नौजवानों को ट्रेनिंग भी देते है जो इस कला में रुचि रखते है।


दरमानी लाल जी के पुत्र राजेन्द्र भी उनके इस काम मे पूरा सहयोग दे रहे है वो बताते है कि विदेशों में रिंगाल उत्पादों की काफी मांग है और यदि सरकार की तरफ से हस्तशिल्प कला और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन मिले तो ये कला उत्तराखंड के पहाड़ो की तस्वीर बदल सकती है।


आज जरूरत है ऐसे हस्तशिल्पियों को आगे बड़ाने की इस कला को कुटीर उद्योग के रुप मे स्थापित करने की और नौजवानों को जो रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे है उनमें इस कला के प्रति रुचि पैदा करने की और ये तभी संभव है जब सरकार इन्हें प्रोत्साहित करें।
हमारे यहाँ दरमानी लाल जैसे हस्तशिल्प के वो जादूगर है जो बेजान चीजों में जान डाल देते है अगर इनकी ओर ध्यान दिया जाये तो उत्तराखंड से न केवल पलायन खत्म होगा बल्कि राज्य को एक नई पहचान भी मिलेगी।।।।