रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- राज्य के शिक्षित युवा बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने के मकसद से शुरु की गई वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ियों का मामला एक याचिका के जरिये नैनीताल हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है कोर्ट ने पूरे मामले पर सुनवाई करते हुवे सरकार को हाई लेवल कमेटी का गठन कर जिलेवार जांच करने के आदेश जारी किये है कोर्ट ने कहा है कि जब से राज्य में ये योजना को शुरू किया गया है तब से लेकर अब तक कितने लोग इस योजना का लाभ उठा चुके है इन्ही तमाम बिंदुओं पर सरकार को विस्तृत जबाव दाखिल करना है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने व स्वावलंबी बनाने के मकसद से 2002 में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना का शुभारंभ कर सस्ते दरों पर ऋण की व्यवस्था की थी जिससे कि युवा आत्मनिर्भर बने और यहाँ का पर्यटन कारोबार बड़े मगर 2007 से 2012 के बीच योजना में बड़े पैमाने पर भ्रस्टाचार किया गया जिसमें जरूरतमंदों को नजर अंदाज कर सक्षम लोगों को ऋण बांटे गये जिनमे रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा की पत्नी मनीषा बत्रा का नाम भी शामिल है ऐसे अन्य भी तमाम लोग है जिन्होंने अपने पद का बेजा फायदा उठाकर अपने लोगों को ऋण दिलाया इन्ही सारे बिंदुओं को लेकर सतीश शर्मा द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूरे मामले की जांच कराने की मांग कोर्ट से की मांग की और याचिका में तत्कालीन पर्यटन मंत्री मदन कौशिक को पक्षकार बनाया जिस पर सुनवाई करते हुवे कोर्ट ने सरकार को पूरे मामले की विस्तृत जांच के लिये हाई लेवल कमेटी गठित कर सभी 13 जिलों की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश जारी किये है।