Exclusive- उत्तराखंड के धर्म संस्कृति और प्रकृति को परिलक्षित करती विवेक बिष्ट की चित्रकला

Exclusive- उत्तराखंड के धर्म संस्कृति और प्रकृति को परिलक्षित करती विवेक बिष्ट की चित्रकला

Spread the love

रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “जो शोर मचाते है भीड़ में,भीड़ ही बनकर रह जाते है।
वही पाते है जिंदगी में कामयाबी,जो खामोशी से अपना काम कर जाते है।।

आज हम आपको कला के उस फनकार से मिला रहे है जिनकी कामयाबी की दास्तां उनके चित्र सुनाते है।
भीड़ से हटकर कुछ अलग करने का जुनून और कला के प्रति समर्पण ने इन्हें एक नई पहचान दी है ये मौन चित्रकार नही है कैनवास पर जब इनकी कला बिखरती है तो चित्र बोल पड़ते है।

मूल रुप से नैनीताल के बिनकोट निवासी विवेक चन्द्र बिष्ट ने अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक की डिग्री लेकर बैंक में नौकरी करनी शुरु की लेकिन इनके अन्दर के कलाकार ने इन्हें कभी सोने नही दिया नतीजा नौकरी छोड़ दी और अपनी कल्पनाओं में रंग भरना शुरु कर दिया और आज विवेक की कल्पनायें मूर्त रुप लेकर उनकी कला को नई ऊंचाईयां दे रही है।

विवेक को वॉल आर्ट प्रोजक्ट,वाटर कलर,काल्पनिक चित्र और स्केचिंग के क्षेत्र में महारत हासिल है।
एक चित्रकार,एक कलाकार के रुप में इन्होंने उत्तराखंड ही नही बल्कि देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है।


कहते है तस्वीर एक कविता है जिसकें शब्द नही होते पर एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है विवेक के एक-एक चित्र में राज्य की संस्कृति और प्रकृति प्रेम झलकता है।

विवेक बताते है कला के प्रति अत्यधिक लगाव ने उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया इनके अन्दर का चित्रकार जब करवटें लेता है तो नींद आँखों से कोसों दूर होती है और कल्पनायें चमकने लगती है नतीजा विवेक हाईवे पर पेंटिंग करते हुवे स्याह अंधेरों को भूल जाते है।

आज कल विवेक काकड़ीघाट में हिमालयन फ्लेवर्स संस्था के लिये “काकड़ीघाट में चारधाम पर चित्रकारी कर रहे है”

अगर आप भी कभी काकड़ीघाट आयें तो यहाँ पर न केवल आप विवेक के फन को देख पायेंगे बल्कि आप उत्तराखंड के चारो धामों के दर्शन भी यही कर लेंगे उनकी पेंटिंग को देखकर आपको लगेगा कि वास्तव में एक कलाकार हाथों के साथ-साथ दिल,दिमाग और भावनाओं को पिरोता है तो पत्थर भी बोलने लगते है।।।।

उत्तराखंड