Exclusive–कला को समर्पित एक युग- भारतीय कला संरक्षण को अपना ध्येय मानने वाले पदमश्री डॉ यशोधर मठपाल ने हर शैली के चित्रों में दिखाया हुनर

Exclusive–कला को समर्पित एक युग- भारतीय कला संरक्षण को अपना ध्येय मानने वाले पदमश्री डॉ यशोधर मठपाल ने हर शैली के चित्रों में दिखाया हुनर

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “जो इंसान जितने संघर्षों में जला है,उसके अंदर उतना ही बड़ा कलाकार पला है” ये पंक्तियां पदमश्री डॉ यशोधर मठपाल पर सटीक बैठती है इनका पूरा जीवन संघर्षों में बीता लेकिन इन्होंने कला को एक पूरा युग समर्पित किया है।
भारतीय चित्र कला संरक्षण को अपने जीवन का ध्येय मानने वाले डॉ मठपाल ने बंगाल शैली के चित्र, भित्ति चित्र,आत्म चित्र,गुफा चित्र,पाश्चात्य चित्रकला व मूर्तिकला हर शैली में अपना हुनर दिखाया चित्रकला की शायद ही कोई ऐसी विधा हो जिसमें इनको महारथ हासिल ना हो।

83 वर्षीय मठपाल का जीवन एक संघर्ष गाथा है बचपन अभावों में बीता पिताजी आदर्शवादी थे तो उन्होंने अपने स्थापित विद्यालयों में नही रखा वो चाहते थे कि बेटा शास्त्री बने मगर यशोधर जी को कला में रुचि थी इसलिये उनको घर से कभी मदद नही मिली अभावों के बीच किश्तों में शिक्षा अर्जित की लेकिन अपने अंदर के कलाकार को जीवित रखा उन्होंने लखनऊ से फाइन आर्ट में डिप्लोमा किया।
डॉ मठपाल ने 400 गुफाओं में जाकर,बैठकर चित्रकारी की है वो बताते है उनके जीवन का लंबा हिस्सा गुफाओं में,जंगलों में और बीहड़ों में बीता उन्होंने छत्तीसगढ़,रायपुर,मिर्जापुर, केरल व उत्तराखंड की गुफाओं में काम किया विदेशों में भी गुफा चित्रों की अनुकृतियां बनाई।
इनकी 400 गुफा चित्रों की अनुकृतियां दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में लगी है इसके अलावा इंग्लैंड,आस्ट्रेलिया,लंदन,इटली व व्यक्तिगत संग्रहालयों में इनके चित्र लगे है।
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आपको जानकर हैरानी होगी डॉ यशोधर मठपाल भारत के एकमात्र ऐसे चित्रकार है जिन्हें सेल्फ पोट्रेट(आत्म चित्र कला) में महारथ हासिल है इनके द्वारा 100 से अधिक आत्म चित्र बनाये गये है जो इनके पूरे कला जीवन को दर्शाते हैं।
डॉ मठपाल को 2006 में पदमश्री से नवाजा गया 1957 से अब तक इन्होंने 50 हजार से अधिक चित्रों को बनाया है उम्र के इस पढ़ाव में जब रंगों की पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है मठपाल जी अपनी सोच को चित्रों में गढ़ रहे है इतना ही नही मठपाल जी 50 से अधिक पुस्तकें भी लिख चुके है क्या उनका ये योगदान देश भुला सकता है कला को अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले मठपाल जी के मन में आज भी एक टीस है उनको वो सम्मान नही मिला जिसके वो अधिकारी थे।
क्या मठपाल जी को पद्मविभूषण नही मिलना चाहिये? क्या इस साधक की कला यात्रा इस सम्मान की हकदार नही?
हम अपने चैनल के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार का ध्यान इस ओर खींचना चाहते है क्या मठपाल जी पद्मविभूषण के हकदार नही?।।।।

उत्तराखंड