रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल- रात के सन्नाटे को चीरती हुई एक आवाज हमको सतर्क कर जाती है और बेफिक्र भी,हालांकि दोनों शब्दों में विरोधाभास है एक ओर जागते रहो की आवाज हमें सतर्क करती है वही बेफिक्री इस बात की कि कोई है जो अपनी आँखों को बिना झपकाये हमारी सुरक्षा कर रहा है।
हम बात कर रहे है पर्यटन नगरी नैनीताल की यहाँ व्यापार मंडल द्वारा एक रात्रि चौकीदार रखा गया है जो पिछले 30 वर्षो से ठिठुरन भरी रातों में शहर की तंग गलियों में जागते रहो जागते रहो की आवाज से हमे सुरक्षित माहौल दे रहा है। लेकिन इनका अपना जीवन कितना सुरक्षित है कभी आपने गौर किया है दशकों से शहर की सुरक्षा में अपनी नींदे,अपने सपने न्यौछावर करने वाले रात्रि चौकीदार का कोई फिक्स मेहनताना तक नही है रात में ये जागते रहो जागते रहो कि आवाज से शहर को सतर्क करते है तो दिन में एक रजिस्टर लेकर अपना मेहनताना वसूलते है यानि इनके लिये आज तक इतनी व्यवस्था तक नही की गई है कि व्यापार मंडल इनको महीने के आखिर में तनख्वाह दे ये जिम्मेदारी भी इनकी खुद की है ये हर प्रतिष्ठान से 50 रुपये लेकर अपनी तनख्वाह इकठ्ठा करते है और उसमे भी कितने दुकान वाले पैसे ही नही देते।
रात्रि चौकीदार इंदर बिष्ट बताते है कि उनकी अपनी सुरक्षा के लिये उनके पास सिवाय एक डंडे के कुछ भी नही वो बताते है रात्रि में जब बेख़ौफ आवारा कुत्तो का झुंड विचरण करता है तो भय लगता है हालांकि इन 30 वर्षों में वो इस भय से पार पा चुके है और कुत्तो से उनकी दोस्ती हो गई है फिर भी वो कहते है कि उन्हें सुरक्षा के लिये भाला और पहचान के लिये वर्दी मिलनी चाहिये।
वही इस मामले में व्यापार मंडल के सामने जब इनकी सुरक्षा की बात की गई तो इस बात पर विचार करने की बात करते है।
आपको बता दें कि रात्रि चौकीदार पुलिस के काम मे भी सहायक है ऐसे में इनकी सुरक्षा सरोपरी है इस संबंध में व्यापार मंडल को विचार करना चाहिये।
जो रात के सन्नाटो का पहरा कर हमें चैन की नींद देते है उनकी अपनी सुरक्षा उनका अधिकार है जो उन्हें मिलना ही चाहिये।।।