रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “अजब सा शहर है ये,हर ओर हरियाली है।
मैं ख्वाब देख रहा हूं या जंगल अभी बांकि है”।।
जी हा इन हरी-भरी वादियों को देखकर मेरे मन में बस यही खयाल आया क्योंकि आज से तकरीबन 14 साल पहले जब मैंने ये जगह देखी थी तो यहाँ बस पथरीली,बंजर,उजाड़ जमीन थी लेकिन आज उसी जगह पर घना जंगल देवदार के सुंदर पेड़ और पहाड़ो से लगभग गायब हो चुकी दर्जनों औषधीय वनस्पतियां देखकर सहसा यकीन ही नही आया लेकिन इस अकल्पनीय परिकल्पना को सच कर दिखाया सेवानिवृत लेफ्टिनेंट कर्नल खुशाल सिंह कनवाल ने।
40 वर्षो तक देश सेवा करने के बाद 2006 में कर्नल साहब आर्मी का अनुशासन लेकर अपने घर चारखेत(नैनीताल) वापस लौटे पैतृक जमीन जो उनके पास थी वो पत्थरों के जखीरे में तब्दील हो चुकी थी क्योंकि मेहनत का जज्बा तो शुरू से ही था तो उन्होंने इस जगह को फिर से हरा भरा करने की ठान ली अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने इस जगह को घने जंगल में तब्दील कर दिया।
तकरीबन 20 नाली जमीन में कर्नल साहब ने देवदार का जंगल तो विकसित किया ही है साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों से लगभग गायब हो चुके कई औषधीय वनस्पतियों जैसे किलमाडु,घिंघारू,मेहल, तिमूर आदि प्रजातियों को भी संरक्षित किया है इसके अलावा कर्नल साहब ने यहाँ पर कीवी का उत्पादन कर क्रांति ला दी है आज कर्नल साहब ने यहाँ कई लोगों को रोजगार भी दिया है।
कर्नल साहब 73 वर्ष की उम्र में जिस जिंदादिली से जीवन को जी रहे है अपनी कड़ी मेहनत व सेवा के जज्बे को लेकर उन्होंने अपने चारों ओर प्रकृति को संजोया है वह काबिले तारीफ है यहाँ आकर आपको लगेगा जैसे आप प्रकृति की गोद में हों यहाँ सुकुन है प्रकृति का सुरक्षा आवरण है हम कर्नल साहब की मेहनत को सलाम करते है।