रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “उम्मीद ये कोई शब्द नही है बल्कि इस एक लफ्ज में पूरी दुनिया का अस्तित्व कायम है। हर काली रात के बाद एक सुखद सवेरा आता है। पूरी दुनिया भी इस वक्त कोरोना की काली रात से गुजर रही है लेकिन इस अंधियारे में भी लोगों ने उम्मीद नही छोड़ी है।
नैनीताल में भी एक बार फिर से उम्मीद की लौ जलने लगी है दीवाली का पर्व नजदीक है ऐसे में हर घर रोशन रहे रोशनी बाटने के लिये कैंडिल कारोबारियों ने कैंडिल्स बनाने का काम शुरू कर दिया है।
यूं तो नैनीताल में कैंडिल कारोबार काफी पुराना है आर एस विरमानी ने सबसे पहले नैनीताल में मोमबत्ती का कारोबार स्थापित किया
जिसके बाद यहाँ बड़े पैमाने पर लोगों ने इसे शुरू किया 90 के दशक तक कैंडिल नैनीताल की पहचान बन गई यहाँ अरोमा से लेकर कैंडिल कई आकारों में ढलने लगी कभी मोम ने सांचे में ढलकर मूर्त रूप ले लिया तो कभी शोपीस के जरिये सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम बन गई,यहाँ की कैंडिल्स की डिमांड विदेशों से भी आने लगी जिसके मोम में कोटा भी मिलने लगा लेकिन बाद में अलग राज्य बनने के बाद ये कोटा भी खत्म हो गया सरकारी उदासीनता के चलते फलता फूलता ये कारोबार कुछ फीका जरूर पड़ गया जिस पर कोरोना की दोहरी मार पड़ गई।
लेकिन एक बार फिर कारोबारियों ने कमर कस ली है उम्मीद की लौ मन में जलाकर ये फिर हर घर रोशन करने को तैयार है।
दीपावली पर कारोबार अच्छा होने की उम्मीद भी कारोबारियों को है
उम्मीद इस बात की भी है कि शहर में एक बार पर्यटन फिर पटरी पर लौटेगा और पर्यटक अपनी मन पसंद कैंडिल्स यहाँ से अपने और अपनों के लिये ले जा पायेंगे जिससे उनका घर तो रोशन होगा ही साथ ही इस कारोबार से जुड़े हजारों परिवारों के घर भी रोशन होंगे।