आंखों में तैरता युद्ध का मंजर- “ऑपरेशन विजय” की सफलता तक हर कहानी रिटायर्ड सूबेदार भोलादत्त तिवारी की जुबानी

आंखों में तैरता युद्ध का मंजर- “ऑपरेशन विजय” की सफलता तक हर कहानी रिटायर्ड सूबेदार भोलादत्त तिवारी की जुबानी

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- कारगिल युद्ध में भारत को मिली जीत के 22 साल पूरे होने की खुशी में देशभर में जश्न का माहौल है।
“कारगिल विजय दिवस” युद्ध के दौरान शहीद हुवे जवानों के बलिदान को याद करने के लिये हर बरस मनाया जाता है।
ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर हुआ जिसकी शुरुआत पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा की गई इन्होंने भारतीय हिस्से में घुसपैठ कर अपने ठिकाने बना लिये थे लेकिन भारतीय सेना के जज्बे और मजबूर इरादों के सामने दुश्मनों की नही चली आखिरकार भारतीय सेना ने इनको खदेड़ दिया था और 26 जुलाई का ये वही ऐतिहासिक दिन है जब भारतीय सेना ने कारगिल में अपनी सभी चौकियों को वापस ले लिया जिन पर पाकिस्तानी सेना का कब्जा था।
इस युद्ध को जिसने लड़ा और कारगिल युद्ध का मंजर आज भी जिनकी आंखों में तैरता है उन्ही में से एक नाम है रिटायर्ड सूबेदार भोलादत्त तिवारी का मूलरुप से अल्मोड़ा जिले के बलयाली गांव और वर्तमान में नैनीताल रह रहे सूबेदार भोलादत्त तिवारी कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे।

17 बिग्रेड ऑफ द गार्डस रेजिमेंट में सूबेदार भोलादत्त तिवारी बताते हैं कि युद्ध की शुरुआत उस समय हुई जब पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने भारतीय इलाके में घुसपैठ की और घुसपैठियों ने अपने आप को भारतीय इलाकों के मुख्य स्थानों पर तैनात किया जिससे कि युद्ध के दौरान रणनीतिक तौर पर फायदा भी मिला स्थानीय चरवाहों ने जानकारी दी कि गुसपैठिये आ गये है और उन्होंने चौकियों पर अपना ठिकाना बनाया है इस जानकारी के बाद भारतीय सेना ने सभी चौकियों की पड़ताल करी और उसके बाद दुश्मन को भगाने के लिये शुरु किया “ऑपरेशन विजय”
तिवारी बताते हैं कारगिल के हालात बिगड़ गये थे करो या मरो जैसी हालात थी तो इनकी यूनिट भी कारगिल के लिये रवाना हो गई बजरंग पोस्ट पर जहाँ चारों ओर बर्फ और दुश्मन की गोलाबारी के बीच यूनिट ने साहस नही छोड़ा और जमकर दुश्मन का मुकाबला किया।
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सूबेदार तिवारी कहते हैं कि तब हर रोज देशभर से सैकड़ों दुवाओं से भरे पोस्टकार्ड मिलते थे उनमें जो संदेश लिखे होते थे उनको पढ़कर और देशभक्ति का जज्बा पैदा होता था।
सूबेदार तिवारी कहते है कई दिनों तक ना तो खाना मिला और ना ही पानी बर्फ को पिघलाकर पीते थे मगर उनके हौसले नही डगमगाये बस दिल मे एक ही तमन्ना थी कि देश के लिये कुछ करना है।
घर से दूर बिना किसी संवाद के देश के लिये लड़ाई लड़ी सामने मौत का मंजर और दिल में एक ही जज्बा देशभक्ति कई जवान शहीद हो गये आखिरकार लंबी लड़ाई के बाद 26 जुलाई का सूरज जो जीत की तारीख को लेकर उदय हुआ।
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कारगिल युद्ध के साक्षी सूबेदार भोलादत्त तिवारी आज “ऑपरेशन विजय” की सभी देशवासियों को बधाई देते हैं।

उत्तराखंड