रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- “कस्तूरी कुंडली बसे मृग ढूंढे वन माही” आज हम आपको ऐसी शख्सियत से मिला रहे है जिसने न केवल अपने अंदर की कस्तूरी को पहचाना बल्कि उसको वो पहचान दी जिसने स्वरोजगार के तार जोड़कर पूरे कुमाऊं को महका दिया।
हम बात कर रहे है नैनीताल जिले के उलगोर(लोहाली) गांव निवासी प्रेम सिंह रावत की 45 वर्षीय प्रेम सिंह रावत से लॉकडाउन ने रोजगार छीन लिया लेकिन उन्होंने इस चुनौती को अवसर में बदलने की ठान ली उन्होंने घर पर ही “देवभूमि दर्शन” नाम से अगरबत्ती की फैक्ट्री लगा दी कहते है ना कि परिवार का साथ हो तो इंसान कोई भी मंजिल पा सकता है और एक और एक मिलकर ग्यारह हो जाते है प्रेम सिंह के साथ इस काम में उनके भाई प्रताप सिंह रावत ने ग्यारह का काम किया।
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चूंकि प्रेम सिंह रावत ने अगरबत्ती बनाने वाली कई बड़ी कंपनियों में काम किया था लिहाजा उन्हें अगरबत्ती बनाने में महारथ हासिल है।
घर पर 2 लाख रुपयों से उन्होंने सामग्री एकत्र की और 10 लाख की मशीनें लगाई प्रेम सिंह का अनुभव और भाई प्रताप सिंह रावत के साथ ने इस सफर को आसान कर दिया और आज ये खुद तो रोजगार से जुड़े है साथ ही इन्होंने करीब एक दर्जन लोगों को भी रोजगार से जोड़ा है जिसमें एक दिव्यांग भी शामिल है।
प्रेम सिंह चंदन,गुलाब,मोगरा,देववासी, हिमालय अगरबत्ती,बुरांस अगरबत्ती के साथ ही पहाड़ की औषधीय जड़ी बूटियों से कई किस्म की अगरबत्तियां तैयार करते है।
प्रेम सिंह रावत के प्रयासों ने उनके घर आंगन को तो खुशियों से महका ही रखा है साथ ही उनके प्रयासों की महक ने कई घरों को सुगंधित किया है आज अपने प्रयासों से रावत बंधु तकरीबन डेढ़ लाख रुपया महीने की आय ले रहे है और “देवभूमि दर्शन” अगरबत्ती अपनी महक से पूरे अंचल को सुगंधित कर रही है। ये सुगंध है आध्यात्म की,ये सुगंध है मेहनत की,ये सुगंध है हौसले की और ये सुगंध है कामयाबी की जो चारों ओर फैल रही है जो हमें बताती है कि अगर लगन हो तो इंसान आँधियों में भी चिराग जला सकता है।
प्रेम सिंह रावत की सफलता पर हम यही कहेंगे…”जलती अगरबत्ती की तरह है जिंदगी।देंखो तो बस धुंआ महसूस करो तो वाह।।
प्रेम सिंह रावत ने इसे महसूस किया और आज सभी के कंठ से उनके लिये निकलता है बस वाह।।।।