रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- आज जब इंसान,इंसान को नही पूछता सम्पत्ति के लिये भाई-भाई का दुश्मन बन जाता है वही एक इंसान ऐसा भी है जिसने हाथियों के संरक्षण के लिये न केवल अपनी करोड़ों की सम्पत्ति दान कर दी बल्कि अपना जीवन भी हाथियों के संरक्षण व संवर्धन के लिये समर्पित कर दिया है।
हम बात कर रहे है अख्तर इमाम की 40 वर्षीय अख्तर मूल रूप से पटना बिहार के रहने वाले है लेकिन वर्तमान में उत्तराखंड के रामनगर सॉवल्दें में 30 एकड़ जमीन लीज पर लेकर हाथियों की सेवा कर रहे है।
अख्तर इमाम जैसी मिशाल शायद ही कोई और हो अख्तर ने हाथियों के संरक्षण व संवर्धन के लिये एशियन एलिफैंट रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्ड लाइफ एनिमल (ऐरावत) नाम से ट्रस्ट भी बनाया है।
आज अख्तर के पास रानी,मोती,फूल माला,लाड़ली व लक्ष्मी नाम के 5 हाथी है।
कहते है जानवर प्रेम की भाषा बखूबी समझते है ये बात अख्तर ने साबित भी की है अख्तर के एक स्पर्श से गजराज प्रफुल्लित हो उठते है और सूंड़ उठाकर अपना स्नेह व आदर प्रकट करते है।
अख्तर ने हाथियों की देखरेख के लिये 5 लोग रखे है आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अख्तर 800 वर्ष पुरानी “फीलाआमा” किताब को अपने साथ रखते है इस किताब की मदद से वो हाथियों का उपचार भी करते है सैकडों वर्ष पुरानी किताब के बारे में जानकारी रखना उनका हाथियों के प्रति बेइंतहा प्यार को दर्शाता है।
अख्तर बताते है कि एक हाथी पर प्रतिदिन 4 से 5 हजार रुपये खर्च होते है वो बताते है कि कुरान में भी हाथियों का जिक्र है और वो इनकी सेवा व संरक्षण कर अपने धर्म का भी पालन कर रहे है।
अख्तर के वहाँ अक्सर पर्यटक हाथियों के दर्शनार्थ आते है जो अपने साथ हाथियों के प्रिय भोजन गन्ने को लाते है और अपने हाथों से इनको खिलाते है।
अख्तर इमाम ने हाथियों के रखरखाव व इनकी पौराणिक कथाओं पर कई किताबें भी लिखी है।
जल्द ही अख्तर एक ऐसा ओपन सेंटर बनाने जा रहे है जहाँ गजराज बिना बंधन के खुले में विचरण कर सकें।
पशुओं से अगाध प्रेम करने वाले अख्तर के लिये हम यही कहेंगे
निःस्वार्थ हो के अपना कर्तव्य निभाने की,आदत है सूरज बन रोशनी लुटाने की।।।।।