चीन व न्यूजीलैंड के बाद उत्तराखंड के बगेश्वरब में कीवी की खेती

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रिपोर्ट- नीरज पाण्डे

बागेश्वर- चीन व न्यूजीलैंड का कीवी फल अब उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में भी खूब पैदावार दे रहा है। इतना ही नहीं जिले के एक किसान ने बाकायदा हिमालयन कीवी जैम नाम से कुटीर उद्योग स्थापित कर कीवी फल का जैम बाजार में बिक्री को उतार दिया है। इस जैम को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
कीवी फल को चाइनीज गूजवैरी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एक्टिनिडिया डेलिसिओसा है। इस फल के उत्पादन की शुरुआत सबसे पहले चीन में हुई। जिसके बाद कीवी का उत्पादन न्यूजीलेंड समेत कई देशों में होने लगा। हिमांचल प्रदेश में भी कीवी की अच्छी पैदावार होती है। कुछ वर्षों में हुए प्रयोग में उत्तराखंड की जलवायु भी कीवी के उत्पादन के लिए मुफीद पाई गई है। बागेश्वर जिले के शामा गाँव निवासी भवान सिंह कोरंगा की 10 सालों की मेहनत रंग लाने लगी है। प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भवान सिंह ने कीवी के उत्पादन के बारे में सोचा।

उन्होंने इसके लिए शामा क्षेत्र में अपनी मिट्टी का भी परीक्षण कराया। जिसके बाद उन्होंने करीब दो हेक्टेयर में कीवी के पेड़ लगाए। करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में लगाए गए कीवी के अधिकतर पौधों ने फल देना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 75 क्विंटल से अधिक कीवी का उत्पादन हुआ है। शुरुवात में 20 से 25 क्विंटल फलों का उत्पादन हो रहा था। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा हेवाल्ड, ब्रूनो, एलीसन, मोंटी प्रजाति के पौधे लगाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके अलावा शामा क्षेत्र में उनसे प्रेरित हो कर अन्य किसानों ने भी कीवी का उत्पादन करना शुरू कर दिया है। जिसके चलते इस वर्ष शामा क्षेत्र में पांच हेक्टेयर में लगाये गए कीवी के पेड़ों से करीब पौने दो सौ क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ है। उन्हीने बताया कि इस वर्ष ग्राम्या विभाग के सहयोग से बरेली मंडी में कीवी के लिए बाजार उपलब्ध कराया गया।

इससे पहले हल्द्वानी में ही कीवी भेजी जा रही थी। उन्होंने बताया कि बाजार मिलने से किसानों को कीवी की अच्छी कीमत मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष उन्हें कीवी से करीब 10 लाख रुपये की आमदनी हुई है। उन्होंने अन्य लोगों को भी कीवी के उत्पादन के लिए जागरूक किया है। साथ ही उन्होंने उद्यान विभाग, ग्राम्या का आभार जताया। उन्होंने बताया कि वे अब हिमालयन कीवी फ्रूट के नाम से जैम भी बना रहे है। इसके लिए उन्होंने कुटीर उद्योग स्थापित किया है। जैम की कीमत बाजार में 250 रुपये है। जिसकी काफी मांग बाजार में है। गावँ में कीवी के उत्पादन से लेकर फल की तुड़ाई, पैकिंग आदि में गावँ के महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी मिल रहा है। वहीं जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने किसानों की मेहनत की तारीफ करते हुए कहा कि पहाड़ में स्वरोजगार के लिए कीवी फल का उत्पादन एक अच्छा स्रोत है। उन्होंने इसे उद्यान व कृषि विभाग के लिए अच्छा संकेत बताया। क्षेत्र के अन्य किसानों ने भी उनसे प्रेरित हो कर कीवी का उत्पादन कर लाभ उठाना चाहिए।

कीवी फल के ये हैं लाभ-

ह्रदय रोगियों, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, डायबिटीज, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, ब्लड प्रेशर को कम करने, अनिद्रा से पीड़ित मरीजों, गर्भवती महिला, अस्थमा के मरीजों, अल्सर के मरीजों व आंखों की रोशनी बढ़ाने में लाभकारी है।