रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल:- हरी भरी वादियां पेड़ो से लदकद पहाड़,कल कल बहती नदी और उसके किनारे लहलहाती फसलें, एक वक्त ऐसा था जब यही सौंदर्य हमारे पहाड़ों मे चार चांद लगाता था धीरे धीरे वक्त बदला और इंसान स्वार्थी होकर खुद इस नैसर्गिक सौंदर्य का दुश्मन बन गया। आज हम बात कर रहे है पहाड़ो को खोखला बनाते खनन कारोबार की आज हम आपको इसकी जद में आये बेतालघाट की तस्वीरे और यहा का दर्द दिखा रहे है।
नैनीताल का बेतालघाट क्षेत्र ना केवल नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर है बल्कि ये पूरा इलाका पहाड़ी दालों,मिर्च और मोटे अनाज की पैदावार के लिये भी काफी प्रसिद्ध है कोसी नदी के किनारे जब खेतो में पहाड़ी अनाज की फसल तैयार होती थी तो पूरी घाटी खुशबु से महक उठती थी। प्रकृति का कुचक्र कहे या इंसान का कर्मफल 2010 में इस क्षेत्र को बाढ़ ने अपनी चपेट में ले लिया कोसी का रौद्र रुप पूरे क्षेत्र में कहर बनकर टूटा कई दिनों की त्रासदी के बाद कोसी तो शांत हो गई लेकिन तब से यहा खनन कारोबार ने नींव पकड़ ली।
2010 की त्रासदी के बाद जब नदी किनारों के खेत खलिहान बह गये और उसकी जगह रेते बजरी के ढेरो ने ली तो एक स्थानीय ठेकेदार ने सबसे पहले बेतालघाट में 16 नाली का एक पट्टा अपने नाम स्वीकृत कराया और उस वैध पट्टे की आड़ में अवैध तरीके से शुरु हो गया खनन का खेल जो आज भी अनवरत जारी है। आज बेतालघाट क्षेत्र में 7 स्टोन क्रेशर निर्बाध संचालित होते है और पहाड़ की जड़ो को खोखला करने का सिलसिला जारी है।
निरंतर हो रहे खनन से पैदावार तो नष्ट हो ही गई है क्योंकि खेती की जगह अब रेत के ढेर उग रहे है और फसलों की सौंधी सुगंध की जगह ले ली है क्रेशरो के धुंवे और धूल ने जो पूरे क्षेत्र को प्रदूषित कर रहे है पहाड़ की स्वास्थ्यवर्धक आबोहवा पर धूल की परत जमकर पूरे क्षेत्र को प्रदूषित कर रही है।
यही नही खनन कारोबारियों द्वारा खनन में लगाये गये सभी मजदूर बाहरी क्षेत्रो के है जिनका कोई सत्यापन नही होता नतीजा खनन के साथ यहा तेजी से अपराध भी पनप रहे है इस संबंध में SSP सुनील मीणा से वार्ता हुई तो वो भी स्वीकार गये कि मजदूरों का सत्यापन नही होता लिहाजा उनकी तरफ से सत्यापन के लिये सभी थानों को निर्देशित किया जायेगा साथ ही एसएसपी ने कहा कि खनन ठेकेदारों को भी सख्त हिदायत दी जा रही है कि वो अपने मजदूरों का सत्यापन करा लें अन्यथा पुलिस एक्ट के तहत चालान की कार्यवाही की जायेगी।
खनन कारोबार यहा इस कदर जड़े जमा चुका है जो लगातार पहाड़ो को खोखला कर रहा है अगर अभी भी सचेत नही हुवे तो पहाड़ो की सुंदरता सिर्फ गाथा रह जायेगी और हमारे पहाड़ अपना अस्तित्व खों देंगे यहा की सुंदरता,पारंपरिक फसलें और यहा की आबोहवा सब नष्ट हो जायेगी।