बदहाली के दौर से गुजरता स्वर्णिम इतिहास

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रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- नैनीताल का जी बी पंत अस्पताल(रैमजे) आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है अपने स्वर्णिम इतिहास को समेटे इस अस्पताल की नींव 1892 में कुमाऊं के पूर्व कमिश्नर जनरल सर हैनरी रैमजे की स्मृति में रखी गई थी करीब 17 एकड़ एरिया में फैले इस अस्पताल की गिनती तब एशिया के बेहतरीन अस्पतालों में होती थी आजादी से पहले यहाँ केवल ब्रिटिश सरकार के उच्चाधिकारियों का ईलाज होता था उस दौर में इसे गोरों का अस्पताल भी कहा जाता था।

आजादी के बाद इसे गोविंद बल्लभ पंत नाम दिया गया और इसको आम जनता के लिये खोल दिया गया एक स्वर्णिम युग को समेटे ये अस्पताल आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है एक वक्त में सर्जिकल यूनिट के लिये प्रसिद्ध अस्पताल में आज न तो सर्जन है न सीएमएस है न महिला चिकित्साधिकारी है और न ही Gynaecologist

इतना ही नही यहाँ चतुर्थ कर्मियों का भी भारी टोटा है।
पहले यहाँ ईलाज के लिये न केवल नैनीताल बल्कि दूसरे जनपदों से भी लोग आते थे लेकिन आज यहाँ न तो स्टाफ पूरा है न ही उपकरण अब तो यहाँ पर प्राथमिक उपचार भी मुश्किल से मिलता है अस्पताल की ऐसी हालत कि यहाँ के लोगों को हर चीज के लिये हल्द्वानी दौड़ लगानी पड़ती है।


अस्पताल के चिकित्साधिकारी इसके लिये प्रशासन व सरकार दोनो को जिम्मेदार मानते है।
बेहद खूबसूरत लोकेशन में बना ये अस्पताल और यहाँ की आबोहवा दवा से ज्यादा असर मरीजों पर करती है लेकिन अभी भी सरकार ने इस ऐतिहासिक धरोहर की सुध नही ली तो एक स्वर्णिम युग का अंत हो जायेगा।।।