रिपोर्ट- नैनीताल
नैनीताल- ब्रह्मांड जो कि अनंत है,अनगिनत रहस्यों का पुंज है ब्रह्मांड जिसकी कोई थाह नही है इन्ही अनछुवे रहस्यों से पर्दा उठायेगी 4 मीटर तरल दर्पण(आईएलएमटी) दूरबीन बैल्जियम और कनाडा के सहयोग से भारत के वैज्ञानिकों ने ये कारनामा कर दिखाया है।
आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान(एरीज) के वैज्ञानिकों ने इसमें अहम किरदार निभाया है।
उत्तराखंड के देवस्थल में स्थापित होने जा रही 4 मीटर तरल दर्पण दूरबीन दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन है जो ब्रह्मांड में दूर के ऑब्जर्वेशन आसानी से कर पायेगी।
एरीज के निदेशक प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी के मुताबिक दूरबीन का उद्धघाटन कोरोना के चलते नही हो पाया चूंकि ये भारत,कनाडा व बैल्जियम का सांझा प्रोजेक्ट है और ऐसी उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इसका उद्धघाटन होगा और ये काम करना शुरु कर देगी इसके साथ ही देवभूमि का देवस्थल गवाह बनेगा दूसरी दुनिया(ब्रह्मांड)के रहस्यों का।
इस दूरबीन के चलते भारत का इसरो के साथ करार हुआ है इस प्रोजेक्ट में इसरो व भारत के वैज्ञानिक स्पेश में फैल रहे सैटेलाईट के कचरे और उसके प्रभाव पर काम करेंगे और ये 4 मीटर तरल दर्पण दूरबीन इस प्रोजेक्ट में काफी सहायक होगी ये आसानी से ऑब्जर्व कर पायेगी कि स्पेश में कचरा कितना है,कहाँ घूम रहा है जिसके बाद वैज्ञानिक इसके प्रभाव पर इसरो के साथ मिलकर काम करेंगे।
भारत हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है और विज्ञान के क्षेत्र में ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जिसका साक्षी देवस्थल बनेगा साथ ही ये शोध के नये द्वार भी खोलेगा साथ ही वैज्ञानिक उन सवालों के जवाब खोज पायेंगे जो अभी तक सवाल ही है।