रसीले फल पर मौसम की भारी मार

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रिपोर्ट- राजू पाण्डे
नैनीताल- स्ट्राबेरी का नाम सुनते ही जुबां पर मिठास घुलने लगती है और स्ट्राबेरी अगर पहाड़ की हो तो उसकी बात ही कुछ और है नैनीताल के ज्योली गांव की स्ट्राबेरी की मांग पूरे देशभर में है और छोटे से गांव ज्योली के किसानों का रोजगार भी स्ट्राबेरी से ही जुड़ा है।

लेकिन इस बार बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने ज्योली गांव की स्ट्राबेरी को खूब नुकसान पहुचाया है।
स्ट्राबेरी रोजेसी कुल का पौधा है जिसकी उत्पति उत्तरी अमेरिका में हुई थी यहा से यह यूरोप,संयुक्त राज्य अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस व अन्य देशो के पर्वतीय अंचलों व शीतोषण प्रदेशो में फैला भारत मे इसका उत्पादन पर्वतीय भागो में नैनीताल,देहरादून,हिमांचल प्रदेश, महाबेश्वर,महाराष्ट्र,नीलगिरी व दार्जलिंग आदि पहाड़ियों में व्यावसायिक तौर पर किया जाता है।

इस रसीले और नाजुक फल पर मौसम की ऐसी मार पड़ी जिससे 50 प्रतिशत से भी अधिक फसल बर्बाद हो गई मौसम की मार ने न केवल स्ट्राबेरी का रंग फीका किया बल्कि इसने उन किसानों को भी मायूस कर दिया जिनकी आजीविका इसी पर निर्भर है।

आमतौर पर इन दिनों रसीली स्ट्राबेरी जुबां पर घुलने को तैयार हो जाती है नैनीताल आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों को भी यहा की स्ट्राबेरी का इंतजार रहता है लेकिन इस बार शायद इसकी मिठास आपके जेब का बजट बिगाड़ दे क्योंकि फसल बर्बाद होने से उत्पादन सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है जिससे कीमत बड़ना तय है।।।।